भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में एक यमन नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के जुर्म में 16 जुलाई को फाँसी दी जानी है।
निमिषा काम करने के लिए केरल से यमन गई थीं लेकिन हत्या के आरोप में राजधानी सना में उन्हें जेल जाना पड़ा। यमन का सना इलाका ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है और भारत सरकार का इस संगठन के साथ को कोई औपचारिक संबंध नहीं है।
निमिषा एक नर्स के रूप में काम करने के लिए साल 2011 में पहली बार यमन पहुंची लेकिन इलाके में बढ़ती अशांति और वित्तीय कठिनाइयों की वजह से उनका पति और बेटी वर्ष 2014 में वापस भारत आ गए। यमन में रहते हुए निमिषा ने यमनी नागरिक तलाल एब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला। यमन में एक विदेशी नागरिक को क्लिनिक शुरू करने के लिए वहां के किसी नागरिक को कारोबार में साझीदार बनाना कानूनी रूप से जरूरी है। प्रिया के मुताबिक महदी ने उसे अपनी पत्नी बताने के लिए उसके दस्तावेजों के साथ जालसाजी की। यही नहीं महदी ने उसे वर्षों तक शारीरिक और वित्तीय रूप से प्रताड़ित किया। प्रिया का कहना है कि उसने उसे धमकियां भी दीं।
मेहदी पर धन गबन और अपना पासपोर्ट ज़ब्त करने का आरोप लगाने के बाद, प्रिया और मेहदी के बीच जल्द ही विवाद शुरू हो गया। दस्तावेज़ वापस पाने के लिए, प्रिया ने कथित तौर पर उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया, लेकिन ज़्यादा मात्रा में लेने से उसकी मौत हो गई। उसे यमन से भागने की कोशिश करते समय गिरफ़्तार कर लिया गया था।
एक स्थानीय अदालत ने 2020 में प्रिया को मौत की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देने वाली उसके परिवार की यमन के सुप्रीम कोर्ट में अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी। इस साल जनवरी में, विद्रोही हौथिस की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के अध्यक्ष महदी अल-मशात ने उसकी फांसी को मंजूरी दे दी थी।