इजरायल और ईरान के बीच बढ़े तनाव से मध्य पूर्व का माहौल गरमाता जा रहा है। तेल उत्पादक क्षेत्रों में उपजे नये हालात से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है।
Israel–Iran War : इजरायल और ईरान के बीच बढ़े तनाव से मध्य पूर्व का माहौल गरमाता जा रहा है। तेल उत्पादक क्षेत्रों में उपजे नये हालात से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है। साथ ही वैश्विक व्यापार में बाधा उत्पन्न होने का खतरा भी पैदा हो गया है। इस बीच भारत के चावल निर्यातकों की परेशानी बढ़ सकती है। भारत के बासमती चावल के निर्यात पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। दरअसल भारतीय बासमती चावल के लिए ईरान प्रमुख बाजारों में शामिल है।
ईरान भारतीय बासमती चावल का बड़ा आयातक है। निर्यातकों को आशंका है कि अगर मध्य पूर्व का माहौल अधिक गर्म हो जाएगा और इजरायल-ईरान संघर्ष बढ़ने से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में सुस्ती आ सकती है। इससे ईरान को बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आ सकती है और भुगतान में भी अड़ंगा पड़ सकता है। पिछले कई सालों से सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात के साथ ईरान भारतीय बासमती चावल के सबसे बड़े आयातकों में शामिल रहे हैं।
अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने और ईरानी आयातकों द्वारा समय पर भुगतान न करने से भारत से ईरान को बासमती चावल का निर्यात पहले ही प्रभावित हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, FY22 में भारत के कुल बासमती चावल निर्यात ($3.54 बिलियन) में ईरान की हिस्सेदारी करीब 23% ($0.81 बिलियन) थी। जबकि FY25 में यह घटकर 12% ($0.75 बिलियन) रह गई है।
इजरायल-ईरान युद्ध से बासमती उगाने वाले किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों, सभी की चिंता बढा दी है. बासमती चावल की रोपाई का समय अब आ चुका है। हरियाणा और पंजाब में बड़े पैमाने पर बासमती धान की खेती होती है। पिछले साल इजरायल-हमास संघर्ष (Israel-Hamas conflict) और हुती विद्रोहियों (Houthi rebels) द्वारा लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हमले की वजह से ईरान और कुछ अन्य देशों को बासमती चावल के निर्यात में बाधा उत्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप किसानों को बासमती धान (Basmati Rice) की कीमत साल 2023 के मुकाबले करीब 1000 रुपये प्रति क्विंटल कम मिली। पूसा 1509, पीबी 1401 और मुच्छल जैसी किस्मों का भाव तो 1500 रुपये तक गिर गया था। साल 2023 में बासमती 1121 और पीबी 1401 धान का भाव 4800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया था, जो 2024 में गिरकर क्रमश: 3800 रुपये और 3200 रुपये तक पहुंच गया।