समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की विधायकी रद्द हो गई है। हेट स्पीच मामले में कोर्ट की सजा के बाद उन पर ये कार्रवाई की गई है। आजम खान की विधायकी जाने के बाद रालोद प्रमुख और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि, आजम खान पर कार्रवाई लेकिन विक्रम सैनी पर क्यों नहीं?
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की विधायकी रद्द हो गई है। हेट स्पीच मामले में कोर्ट की सजा के बाद उन पर ये कार्रवाई की गई है। आजम खान की विधायकी जाने के बाद रालोद प्रमुख और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि, आजम खान पर कार्रवाई लेकिन विक्रम सैनी पर क्यों नहीं?
साथ ही जयंत ने जन लोक प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से विक्रम सैनी के प्रकरण में भी शीघ्र कार्रवाई की मांग की। इसको लेकर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। जयंत चौधरी ने पत्र में लिखा है कि, स्पेशल एम०पी०एम०एल०ए० कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है।
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने लिखा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र। आजम खान की सदस्यता रद्द करने का मामले को उठाया। साथ ही खतौली से विक्रम सैनी के मामले के कार्रवाई के बारे में भी पूछा…. pic.twitter.com/zBbFNlSEsR
— Shiv Maurya (@shivmaurya00) November 1, 2022
जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए किन्तु जब पूर्व में घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं, तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है ? इसके साथ ही लिखा है कि, इस सन्दर्भ में आपका ध्यान में खतौली (मुजफ्फरनगर) से भाजपा विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एम०पी०एम०एल०ए० कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल की सजा सुनाई गई है। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहलकदमी नहीं ली गई। इसके साथ ही जयंत चौधरी ने सवाल उठाए हैं।
उन्होंने पूछा है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहलकदमी नहीं लेते। साथ ही उन्होंने कहा कि, आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परम्परा के लिए विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक-सा होता है, भिन्न-भिन्न नहीं।