सूर्य देव को आत्मा का कारक कहा जाता है। सूर्य देव ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में उर्जा और प्रकाश के मुख्य स्रोत्र के रूप में सूर्य नारायण की पूजा होती है।
पुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से शाम 06:19 बजे तक (अवधि: लगभग 4 घंटे 33 मिनट)
महापुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से 03:31 बजे तक (अवधि: लगभग 1 घंटा 45 मिनट)
कन्या संक्रांति पर जरूरतमंदों और गरीबों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है। खासतौर पर
वस्त्र: नए या साफ-सुथरे कपड़े दान करें।
अनाज: गेहूं, चावल, दाल आदि।
गुड़ और तिल: इनका दान विशेष पुण्यकारी है।
दक्षिणा: दान-पुण्य के साथ ब्राह्मण या जरूरतमंद को दक्षिणा देना भी जरूरी है।