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अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए पहले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन करगिल में जीती 22 सीटें, बीजेपी को बड़ा झटका

अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद करगिल में हुए लद्दाख आटोनोमस हिल डेवलेपमेंट काउंसिल (LAHDC) के हुए पहले चुनाव में विपक्ष के ‘इंडिया गठबंधन’ के घटक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference) और कांग्रेस (Congress) ने 26 में से 22 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

श्रीनगर। अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद करगिल में हुए लद्दाख आटोनोमस हिल डेवलेपमेंट काउंसिल (LAHDC) के हुए पहले चुनाव में विपक्ष के ‘इंडिया गठबंधन’ के घटक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference) और कांग्रेस (Congress) ने 26 में से 22 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है।

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बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  ने 12 और कांग्रेस (Congress) ने 10 सीटों पर जीत हासिल की है। बता दें कि ये चुनाव नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। उस हिसाब से 26 सीटों में 12+10= 22 सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  और कांग्रेस (Congress) ने मिलकर जीत ली हैं। वहीं 2 सीटों पर निर्दलीय जीते हैं। गौरतलब है कि ये चुनाव 4 अक्टूबर को हुए थे, जिसके नतीजे रविवार को आ गए।

कुल सीटें: 26
नेशनल कॉन्फ्रेंस: 12
कांग्रेस: 10
बीजेपी: 2
निर्दलीय: 2

लद्दाख के कारगिल में पहला स्थानीय चुनाव

बता दें कि जब आर्टिकल 370 निरस्त हुआ था, उसके बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बना था। लद्दाख के कारगिल में उसके बाद ये पहला स्थानीय चुनाव है। नई परिषद का गठन 11 अक्टूबर से किया जाएगा।

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4 अक्टूबर को कितनी वोटिंग हुई?

4 अक्टूबर को जब इस चुनाव के लिए वोटिंग हुई। इस चुनाव में 25 निर्दलीय उम्मीदवार समेत 85 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। ये चुनाव नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  और कांग्रेस (Congress) ने मिलकर लड़ा था। चुनाव में कांग्रेस (Congress) ने अपने 22 उम्मीदवार उतारे थे, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 17 उम्मीदवार उतारे थे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  और कांग्रेस दोनों ने भाजपा को दूर रखने के लिए चुनाव पूर्व समझौता किया था। इस समझौते के अनुसार, दोनों दलों की पहाड़ी परिषद की कार्यकारी परिषद में बराबर हिस्सेदारी होगी। दोनों दलों ने नतीजों को भाजपा और उसके 5 अगस्त 2019 के फैसलों को खारिज करने वाला करार दिया।

सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (former Chief Minister Omar Abdullah) ने कहा कि परिणाम भाजपा और उसकी नीतियों के खिलाफ एक जबरदस्त फैसला है और केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के साथ जो किया, उसकी सहानुभूतिपूर्ण अस्वीकृति है।

लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हाजी असगर अली करबली ने कहा कि भाजपा को करगिल के लोगों ने खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि संदेश स्पष्ट है कि भाजपा और उसकी नीतियां यहां के लोगों को अस्वीकार्य हैं।

भाजपा को झटका?
हालांकि, भाजपा ने  2018 की एक सीट की तुलना में दो सीट जीतकर अपना प्रदर्शन सुधारा है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इस नतीजे को भाजपा के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। पड़ोसी लेह जिले में 2020 के पहाड़ी परिषद चुनाव में भाजपा ने 2015 में हुए चुनाव की तुलना में तीन सीटें कम जीती थीं। वर्तमान नतीजों पर सरसरी नजर डालने से पता चलता है कि करगिल जिले की तीन बौद्ध बहुल सीटों में से भाजपा केवल एक सीट जीतने में सफल रही, जबकि शेष दो नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  और कांग्रेस के पास चली गईं।

वह पदुम की बौद्ध बहुल सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  से 54 वोटों से हार गई और कर्षा कांग्रेस से 79 वोटों से हार गई, जबकि चा (Cha) सीट उसने 234 वोटों से जीती। नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Conference)  , कांग्रेस और दो अन्य स्वतंत्र उम्मीदवारों के बीच मुस्लिम वोटों के विभाजन से भाजपा मुस्लिम बहुल स्टैकचाय खंगराल सीट जीतने में सफल रही।

यहां भाजपा उम्मीदवार पद्मा दोरजे ने कांग्रेस के सैयद हसन को 177 वोट से हराया। भगवा पार्टी के प्रमुख चेहरे और जम्मू कश्मीर विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष हाजी इनायत अली पोयेन क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस से 366 वोट से चुनाव हार गए। भाजपा सांसद जामयांग नामग्याल (BJP MP Jamyang Namgyal)  ने बताया कि हमने अपनी सीटों की संख्या और वोट शेयर में सुधार किया है।

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जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं, और कांग्रेस और सीपीआई (एम) के राष्ट्रीय नेतृत्व ने ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत पर खुशी व्यक्त की है।

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