भगवान शिव की पूजा अर्चना में शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रथों में वर्णित है कि महाशिवरात्रि पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करने से मनवांक्षित फल की प्रप्ति होती है।
MahaShivratri 2025 Puja Muhurat : भगवान शिव की पूजा अर्चना में शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रथों में वर्णित है कि महाशिवरात्रि पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करने से मनवांक्षित फल की प्रप्ति होती है। देवों के देव महादेव को जगत का पालनकर्ता कहा जाता है जिन्हें खुश करना सबसे आसान है। भगवान शिव को महाकाल और त्रिलोचन भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र और शमी चढ़ाने से महादेव प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करना भी शुभ होता है। इससे शनि की कू दृष्टि से छुटकारा मिलता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गंगाजल अवश्य अर्पित करना चाहिए।
प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में यह पावन त्योहार 26 फरवरी को पड़ेगा। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे होगी और इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे होगा। इस विशेष दिन पर भगवान शिव की पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत का विशेष महत्व होता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि के चार प्रहरों में पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें हर प्रहर की विशेष पूजा विधि होती है।
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक और व्रत का विशेष महत्व
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक और व्रत का विशेष महत्व है। रुद्राभिषेक भगवान शिव की पूजा का महत्पूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
रुद्राभिषेक में महामृत्युंजय मंत्र
रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नमः शिवाय, या रुद्रामंत्र का जप किया जाता है।
रुद्राभिषेक का जल
रुद्राभिषेक के जल को इकट्ठा करके पूरे घर में छिड़का जाता है और सभी को पीने के लिए दिया जाता है। वहीं, व्रत रखने से शिव और माता पार्वती की कृपा मिलती है।