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खोजी पत्रकारों का मुंह बंद करने के लिए मोदी सरकार ने लाया डेटा प्रोटेक्शन एक्ट,अब भ्रष्टाचार उजागर करने, RTI मांगने पर 500 करोड़ तक लगेगा जुर्माना

अब केंद्र की मोदी सरकार ने कहीं भी किसी से भी सवाल पूछने वाले खोजी पत्रकारों का मुंह बंद करने के लिए सरकार डेटा प्रोटेक्शन एक्ट लाई है। अगर आप सरकार के भ्रष्टाचार की नीतियों को उजागर करते हैं कहीं से जानकारी हासिल करते हैं तो आपके ऊपर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना होगा।

By टीम पर्दाफाश 
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नई दिल्ली। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत, नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इस अधिनियम का मकसद है कि सरकार की कामकाजी में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े। साथ ही, भ्रष्टाचार को रोकना और लोकतंत्र को मज़बूत करना भी इसका मकसद है। इस अधिनियम के तहत, कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी ले सकता है।

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लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने कहीं भी किसी से भी सवाल पूछने वाले खोजी पत्रकारों का मुंह बंद करने के लिए सरकार डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act) लाई है। अगर आप सरकार के भ्रष्टाचार की नीतियों को उजागर करते हैं कहीं से जानकारी हासिल करते हैं तो आपके ऊपर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत कुमार (Prashant Kumar, Senior Advocate, Supreme Court) ने कहा कि मोदी सरकार ने RTI को कमजोर कर लोकतंत्र पर हमला किया। अब भ्रष्टाचार उजागर करने पर 500 करोड़ का जुर्माना, व्यक्तिगत सूचना छुपाने का अधिकार सरकार को, और खोजी पत्रकारिता पर पाबंदी। डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act)  के नाम पर जनता के सवाल दबाए जाएंगे। RTI मर जाएगी और भ्रष्टाचारियों को बचाने का कानून बन गया।

यह बात प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act) के माध्यम से आरटीआई क़ानून में किये जा रहे संशोधनों से, केंद्र वा राज्य सरकारों से जवाब मांगना हो जायेगा ना मुमकिन, और डेटा प्रकाशित किए जाने पर पैनाल्टी होगी। वक्ताओं ने कहा कि अच्छी तरह से समझ लीजिये RTI Act छिन्ने का मतलब, सभी अधिकार सीधे होंगे प्रभावित। कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम में बदलाव का मक़सद यूं समझ आता है सरकार अपनी बेईमानी और अपनों की बेईमानी को छुपाना चाहती है।

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डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पर NCPRI एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने कहा कि डेटा संरक्षण क़ानून अगर क़ानूनी रूप में लागू होता है तो मीडिया भी गिरफ़्त में होगा। वक्ताओं ने कहा कि डेटा प्रोटैक्शन एक्ट पूरा ही ख़त्म होना चाहिये। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं द्वारा चिन्ता जताई गई। वक्ताओं ने कहा कि RTI क़ानून में संशोधन वापस लिया जाये।

RTI की हत्या, लोकतंत्र पर प्रहार

◾मोदी सरकार ने RTI एक्ट को कमजोर कर दिया, ताकि जनता भ्रष्टाचार उजागर न कर सके। अब अगर कोई पत्रकार या RTI एक्टिविस्ट सरकारी घोटालों का पर्दाफाश करेगा, तो उस पर 500 करोड़ तक का जुर्माना लग सकता है।

◾RTI में संशोधन कर कोई भी व्यक्तिगत सूचना छुपाने का अधिकार सरकार को दे दिया गया।

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◾बैंक घोटाले, राशन कार्ड फ्रॉड, वोटर लिस्ट धांधली की जानकारी अब “पर्सनल डेटा” बताकर देने से इनकार किया जाएगा।

◾खोजी पत्रकारिता पर डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग के बहाने भारी जुर्माना लग सकता है।

◾मोदी सरकार जिसे चाहेगी, उसे डेटा प्रोटेक्शन एक्ट से बाहर कर देगी, लेकिन बाकी सब पर ये कानून लागू होगा।

◾सरकारी बोर्ड तय करेगा कि कौन सा खुलासा ‘अवैध’ है और किस पर कितनी पेनल्टी लगेगी?

वक्ताओं का कहना है कि अब जनता को सरकार से सवाल पूछने का भी हक नहीं। RTI को बर्बाद कर, मोदी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को बचाने का कानून बना दिया।

 

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