उत्तर प्रदेश में बड़े टेंडर की प्रक्रिया में अफसरों ने एक बड़ा खेल शुरू किया है। ये खेल इंटरव्यू और प्रस्तुतिकरण का है, जिसके जरिए चहेती कंपनियों को ज्यादा नंबर देकर उन्हें टेंडर में क्वालिफाई कराया जा रहा है। वहीं, सेम रेट और सभी मानक को पूरा करने वाली कंपनियां अफसरों के इस खेल में धाराशाही हो जा रही हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बड़े टेंडर की प्रक्रिया में अफसरों ने एक बड़ा खेल शुरू किया है। ये खेल इंटरव्यू और प्रस्तुतिकरण का है, जिसके जरिए चहेती कंपनियों को ज्यादा नंबर देकर उन्हें टेंडर में क्वालिफाई कराया जा रहा है। वहीं, सेम रेट और सभी मानक को पूरा करने वाली कंपनियां अफसरों के इस खेल में धाराशाही हो जा रही हैं। इस तरह का बड़ा खेल ज्यादातर बड़े टेंडर प्रक्रिया में देखने को मिल रहा है। अब नियोजन विभाग के कर्ताधार्ताओं ने ‘ईपीसी मिशन’ में 400 करोड़ रुपये से बड़े ठेकों में 20 नंबर का इंटरव्यू और प्रस्तुतिकरण जोड़कर बड़ा खेल शुरू किया है।
इसके जरिए नियोजन विभाग के बड़े अधिकारी, चीफ इंजीनियर और उनके करीबी लोगों को इसके जरिए फायदा पहुंच रहा है। दरअसल, इंटरव्यू और प्रस्तुतिकरण के इस 20 नंबर के जरिए बड़ा खेल किया जा रह है। अपनी चहेती कंपनियों को अफसर पूरे नंबर देकर उनको टेंडर में क्वालिफाई करा दे रहे हैं, जबकि अन्य कंपनियां अफसरों के इस खेल में पिछड़ जा रही हैं।
‘ईपीसी मिशन’ सीपीडब्ल्यूडी के मानकों और केंद्रीय विजिलेंस आयोग द्वारा तय गए मानकों-नियमों के तहत चलाया जा रहा था। इसमें कहीं भी भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे इसका ध्यान रखकर कंपनियां, वित्तीय क्षमता के 20 अंक, सामान्य कार्य का अनुभव के 20 अंक, काम करने के दौरान प्रदर्शन, जिसमें कार्य कराने के समय को महत्व दिया जाता था, के 20 अंक और कार्य की गुणवत्ता के 40 अंक के आधार पर चुनी जाती थीं। चयन के लिए जरूरी था कि सभी श्रेणी में कम के कम 60 फीसदी अंक चयन कंपनी को हासिल हों। मसलन, वित्तीय क्षमता बैलेंसशीट के आधार पर जांची जाती थी। सामान्य कार्य के अनुभव को भी अन्य राज्य में या फिर उप्र में वैसी कार्य करने की क्षमता अनुभव प्रमाणपत्र देखा जाता। लिहाजा इस प्रक्रिया में नियोजन के अधिकारी हेरफेर करने में नाकाम थे। हालांकि, अब इंटरव्यू और प्रस्तुतिकरण के नाम पर 20 नंबर के जरिए अधिकारी बड़ा खेल करने में जुटे हैं।