Supreme Court on OTT Platform: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) के कार्यक्रमों की निगरानी के लिए बोर्ड के गठन की मांग की गयी थी। लेकिन, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है। इसे सरकार देखेगी।
Supreme Court on OTT Platform: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) के कार्यक्रमों की निगरानी के लिए बोर्ड के गठन की मांग की गयी थी। लेकिन, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है। इसे सरकार देखेगी।
दरअसल, वकील शशांक झा ने इस साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में नेटफ्लिक्स सीरीज (Netflix) आईसी 814: द कंधार हाईजैक का हवाला देते हुए याचिका में आरोप लगाया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) जुआ, ड्रग्स, शराब, धूम्रपान आदि जैसे विज्ञापनों के लिए प्रतिबंधित चीजों को बढ़ावा देने का साधन बन गया है। ओटीटी पर कुछ भी रिलीज होने से पहले वह सर्टिफिकेशन प्रोसेस से नहीं गुजरती है, जिस वजह से बिना किसी चेतावनी के दृश्य दिखा दिए जाते हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक, सरकार ने 2021 में आईटी गाइडलाइंस बनाया, लेकिन इसका कोई असर ओटीटी पर नहीं पड़ा।
याचिका में कहा गया था कि भारत में फिल्मों का सर्टिफिकेशन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) करता है, लेकिन OTT के कार्यक्रम (OTT Programs) को देखकर उन्हें प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने की कोई व्यवस्था नहीं है। ओटीटी पर अश्लीलता और अभद्र भाषा से भरे शो धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हैं। इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है. साथ ही, ड्रग्स के सेवन और जुआ जैसी बुराइयों को भी प्रोत्साहन मिलता है। याचिकाकर्ता ने इन कारणों का हवाला देते हुए ओटीटी प्लेटफॉर्म के प्रोग्राम की निगरानी के लिए बोर्ड के गठन की मांग की थी।