सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा के शान्ति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण करने की प्राचीन परंपरा है।
Pitru Paksha 2023 : सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा के शान्ति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण करने की प्राचीन परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पितृगण पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों को सुख समृद्धि का आर्शिवाद देते है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का नियमित श्राद्ध (Shraahd) करने से, तर्पण करने से और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पितृपक्ष की शुरुआत हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से अमावस्या तक होती है, जो इस बार 17 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक रहेगा, इनमें कुल 16 तिथियां पड़ेगी जो इस प्रकार है-
पितृ पक्ष के दौरान कुछ जीवों से भविष्य का बड़ा संकेत मिलता है।
ये जीव बताते हैं कि आपके पितर आप से खुश हैं या नाराज हैं। इतना ही नहीं, यदि वे जीव आपके हाथ का दिया भोजन ले लेते हैं तो समझ लीजिए कि आपकी किस्मत बदलने वाली है।
कौआ
पितृ पक्ष में कौआ को बहुत शुभ सूचक माना गया है। जब कोई अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं,उन्हें बेसब्री से कौआ की प्रतीक्षा करते हैं। मान्यता है कि कौआ जब तर्पण स्थल पर आता है तो यह पितरों से जुड़ा खास संकेत देता है। उसी दौरान अगर पितरों के निमित्त निकाला गया भोजन कौआ खा लेता हो, तो यह इस बात का संकेत देता है कि पितर प्रसन्न हैं। ऐसे में जब पितर प्रसन्न होते हैं तो वंश और धन की वृद्धि होती है।
गाय
सनातन धर्म में गाय को अत्याधिक पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि गाय में देवी-देवताओं का निवास होता है। ऐसे में पितृ पक्ष में गाय को देखना शुभ संकेत माना जाता है। अगर पितृ पक्ष के दौरान अगर गाय को रोटी खिलाया जाता है तो उससे पितृ देव भी तृप्त होते हैं।
कुत्ता
कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जिस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाए, उस दिन कुत्ते को भी भोजन कराना चाहिए। मान्यता है कि पितृपक्ष में ऐसा करने के पित्र देव खुश होते हैं। जिससे घर-परिवार, कुटुम्ब हमेशा खुशहाल रहता है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि पितृ पक्ष पितरों श्राद्ध तिथि पर कुत्ता का दिखना शुभ है।
चींटी
पितृ पक्ष में पूजा के लिए बनाए गए भोजन का कुछ अंश चींटी को जरूर खिलाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पितर देव भी प्रसन्न रहते हैं। दरअसल चींटियों के माध्यम से वह भोजन पितर प्राप्त कर तृप्त हो जाते हैं। पितृपक्ष में चींटियों को भोजन प्रदान करना चाहिए।