सनातनधर्म में व्रत की श्रंखला में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत के पालन में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
Pradosh Vrat June 2025 Date : सनातनधर्म में व्रत की श्रंखला में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत के पालन में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह उपवास बहुत कल्याणकारी माना गया है। इस दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी को मनाया जाता है। जून महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 23 जून को है, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व।
प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त
सोम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 7 बजकर 22 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक है।
आषाढ़ मासिक शिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त: देर रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक।
प्रदोष काल में शिवालय जाए और वहां शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी, चंदन, अक्षत मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप करें।