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प्रधानमंत्री या तो अतीत में रहते हैं या कल्पना लोक में, ऐसा लगता है कि वर्तमान उनकी डिक्शनरी में नहीं : खरगे

प्रधानमंत्री या तो अतीत में रहते हैं या कल्पना लोक में...ऐसा लगता है कि वर्तमान उनकी डिक्शनरी में नहीं है। 11 साल में उन्होंने ऐसा कौन सा काम किया है, जिससे लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ हो। जिन लोगों ने गरीबों को आर्थिक रूप से कुचल दिया, वे भी हमें आर्थिक मजबूती का पाठ पढ़ा रहे हैं। यदि देश में भू-सुधार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, मनरेगा, फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट और शिक्षा का अधिकार जैसे काम न हुए होते तो गरीबों का हाल बहुत बुरा होता।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, आज 16 दिसंबर है, जो कि बांग्लादेश का लिबरेशन डे है। हमारी बहादुर नेता इंदिरा गांधी जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश बनाया था और देश की शान पूरी दुनिया में बढ़ाई थी। आयरन लेडी रहीं इंदिरा गांधी जी ने ऐसा करके दिखा दिया था कि हमारे देश के नजदीक जो भी आएगा, उसकी खैर नहीं। लेकिन आज बांग्लादेश के जैसे हालात हैं, सरकार के लोग उसे आंख खोल कर देखें और वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने का प्रयास करें।

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उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री या तो अतीत में रहते हैं या कल्पना लोक में…ऐसा लगता है कि वर्तमान उनकी डिक्शनरी में नहीं है। 11 साल में उन्होंने ऐसा कौन सा काम किया है, जिससे लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ हो। जिन लोगों ने गरीबों को आर्थिक रूप से कुचल दिया, वे भी हमें आर्थिक मजबूती का पाठ पढ़ा रहे हैं। यदि देश में भू-सुधार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, मनरेगा, फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट और शिक्षा का अधिकार जैसे काम न हुए होते तो गरीबों का हाल बहुत बुरा होता।

साथ ही कहा, पूरा देश जानता है कि 1949 में RSS के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था, क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित संविधान नहीं था। RSS के लोगों ने न संविधान को स्वीकार किया और न तिरंगे झंडे को माना। इसलिए पहली बार 26 जनवरी, 2002 को कोर्ट के आदेश के बाद RSS को अपने मुख्यालय पर मजबूरी में तिरंगा फहराना पड़ा। हमारा संविधान देश के हर व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है। यह गरीबों की आवाज है, इसमें जाति-धर्म-पंथ के आधार पर भेदभाव करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

लेकिन आज संविधान पर खतरा बना हुआ है। आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सहेजकर रखना एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसके लिए हमें चौकन्ना रहना पड़ेगा, क्योंकि मोदी सरकार की मंशा कब बदल जाए, यह हम नहीं जानते। जब बहुत सारे शक्तिशाली देशों में यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज नहीं था, महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं था, तब भारत में महिलाओं के साथ ही सभी को वोट का अधिकार दिया गया। यह अधिकार महिलाओं को संविधान और कांग्रेस ने दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, यह हमारा देश है, जहां हमने आजादी के बाद एडल्ट फ्रेंचाइज लागू कर सभी को वोटिंग का अधिकार दिया। यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज का अगर किसी ने विरोध किया तो वह RSS के लोग थे, जो आज हमें पाठ पढ़ा रहे हैं। सच्चाई यही है कि जिन लोगों ने कभी देश के लिए लड़ाई ही नहीं लड़ी, उन्हें आजादी का मतलब कैसे पता होगा?

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