शिव उपासना का खास मास सावन में ध्यान,उपवास, और दान विशेष महत्व है। इस मास पर्यन्त में भगवान शिव और उनके परिकरों की सेवा पूजा फलदायी के साथ किस्मत चकाने वाली भी हो सकती है।
Rudraksha in Sawan : शिव उपासना का खास मास सावन में ध्यान,उपवास, और दान विशेष महत्व है। इस मास पर्यन्त में भगवान शिव और उनके परिकरों की सेवा पूजा फलदायी के साथ किस्मत चकाने वाली भी हो सकती है। शिव साहित्य में वर्णित है कि जहां शिव पूजा में पवित्र रुद्राक्ष की कंठी ,माला का प्रयोग किया जाता है। वहीं इस मास को रुद्राक्ष धारण करने के लिए समसे उत्तम समय माना जाता है। रुद्राक्ष को चमत्कारिक माना जाता है। इसके प्रभावों से भक्त का जीवन और बदल जाता है। मान्यता कि रुद्राक्ष के सटीक प्रयोग से
अध्यात्मिक और संसारिक उन्नति होती है। भक्त की साधना और तप में बल और तेज का प्रभाव बढ़ता जाता है। आइये जानते है कि सावन मास में रुद्राक्ष धारण करने और प्रयोग करने के क्या नियम है।
सोमवार या शिवरात्रि
सावन में रुद्राक्ष धारण करने का सबसे शुभ दिन सोमवार या शिवरात्रि माना जाता है।
पंचामृत स्नान
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले गंगाजल या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से शुद्ध करें। रुद्राक्ष को शुद्ध करने के लिए मंत्र का जाप किया जाता है।
मंत्र
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु।
गंगाजल स्नान
रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर भी शुद्ध किया जाता है।
धूप दिखाना
रुद्राक्ष को धूप दिखाकर भी शुद्ध किया जाता है।
शिव मंत्र का जाप
रुद्राक्ष को “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करके भी शुद्ध किया जा सकता है।
अपवित्र स्थान
रुद्राक्ष को अपवित्र स्थान पर नहीं पहनना चाहिए। रात में सोते समय या शौचालय जाते समय नहीं पहनना चाहिए।