सावन मास में शिव पूजा और शिवालयों में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी लोक में विचरण करते है।
Sawan 2025 : सावन मास में शिव पूजा और शिवालयों में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी लोक में विचरण करते है। सावन में पूरे मास पर्यन्त तक शिव पूजा का वातावरण बना रहता है। शिव भक्त विविध सामग्रियों को शिवलिंग पर अर्पित करते है।शास्त्रों में कुछ ऐसी वस्तुओं का उल्लेख है जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना गया है। आइए जानते हैं वे कौन-कौन सी हैं।
1. तुलसीपत्र
तुलसी जहां भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, वहीं शिव पूजा में इसका प्रयोग निषेध है। शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना अशुभ माना गया है। सावन में इसका विशेष ध्यान रखें।
2. शंख जलाभिषेक
शंख से जल चढ़ाना विष्णु पूजा का हिस्सा है। शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना वर्जित है। इसके बजाय कलश या लोटा का इस्तेमाल करें।
3. कुमकुम
कुमकुम का स्थान मुख्यतः देवी पूजा में है। शिव को कुमकुम अर्पित करना शास्त्रों के अनुसार गलत माना गया है।
4. खंडित बेलपत्र
बेलपत्र शिवजी को अत्यंत प्रिय है, लेकिन यदि वो फटा या सूखा हो, तो उसका चढ़ाना वर्जित है। सिर्फ साबुत, ताजा और तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाएं।
5. उबला हुआ दूध
शिवलिंग पर उबला हुआ दूध नहीं चढ़ाना चाहिए। यह अशुद्ध होता है और इससे पूजा में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। कच्चा, ठंडा और शुद्ध दूध ही अर्पित करें।
6. केतकी का फूल
शास्त्रों में वर्णन है कि एक बार केतकी के फूल ने शिवजी से झूठ बोला था, इसलिए शिव पूजा में केतकी का फूल वर्जित है। इसके बजाय कमल, गुलाब आदि चढ़ाएं।