सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 19 अगस्त तक चलेगा। इन दिनों में शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। भक्तगण शिवलिंग (Shivling) पर जल अर्पित करने के साथ ही भांग, बेलपत्र (belpatra) और धतूरा अवश्य चढ़ाते हैं।
Sawan somwar 2024 : सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 19 अगस्त तक चलेगा। इन दिनों में शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। भक्तगण शिवलिंग (Shivling) पर जल अर्पित करने के साथ ही भांग, बेलपत्र (belpatra) और धतूरा अवश्य चढ़ाते हैं। भक्तों के लिए यह आवश्यक वो शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय भगवान भोलेनाथ की स्तुति का पाठ अवश्य करें। आइये जानते है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय किस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
एक अन्य कथा के अनुसार बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं। यानी शिव का ही रूप है, इसलिए बेलपत्र को अत्यंत पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने शिव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या किया था। देवी पार्वती तपस्या की अवधि में बेलपत्र का प्रसाद ग्रहण करती थीं।
ध्यान रखने योग्य बात यह है कि बेलपत्र में तीन पत्तियां हो और तीनों पत्तियां टूटी हुई ना हो। इसके ऊपर आप चंदन से ओम लिखें और इसे शिवलिंग पर अर्पित करें। इस दौरान अगर आप शिव आह्वान मंत्र और शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का उच्चारण करते हैं, तो भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी विपदा को दूर कर खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।
बेलपत्र तोड़ने का मंत्र
बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्॥ भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है।
शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्
सोमयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च
कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्
अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्
प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे
अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥