मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी पारा बिलकुल चढ़ा हुआ है। एक तरफ जहां ठाकरे भाईयों के एक साथ आ गए हैं तो दूसरी तरफ भाषा को लेकर विवाद चल रहा। इस दौरान ये कयास भी लगने लगे कि शरद पवार और अजित पवार भी सुलह कर सकते हैं, लेकिन सुनील तटकरे के बयान अटकलों पर विराम लग गया है।
मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी पारा बिलकुल चढ़ा हुआ है। एक तरफ जहां ठाकरे भाईयों के एक साथ आ गए हैं तो दूसरी तरफ भाषा को लेकर विवाद चल रहा। इस दौरान ये कयास भी लगने लगे कि शरद पवार और अजित पवार भी सुलह कर सकते हैं, लेकिन सुनील तटकरे के बयान अटकलों पर विराम लग गया है।
एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि दोनों एनसीपी के बीच कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है।सुनील तटकरे ने कहा कि अब हम एनडीए (महायुति) में हैं और यहीं रहने का संकल्प ले चुके हैं। एनडीए में हमारी भागीदारी स्पष्ट है। लेकिन अगर ऐसा कोई मुद्दा है, तो हम बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से इस पर चर्चा करेंगे और उसके बाद ही निर्णय होगा।
बता दें कि शरद पवार और अजित पवार की समय-समय पर मुलाकातें होती रहती हैं लेकिन कभी विलय की चर्चा ने ज्यादा जोर नहीं पकड़ा। पारिवारिक समारोह या फिर किसी राजनीतिक कार्यक्रम में दोनों नेता एक फ्रेम मे और एक मंच पर भी दिख जाते हैं।
शरद पवार लंबे समय तक कांग्रेस का हिस्सा रहे और फिर साल 1999 में उन्होंने 10 जून को अपनी नई पार्टी बना ली। इस साल 10 जून को स्थापना दिवस समारोह भी मनाया गया था। दोनों अजित पवार और शरद पवार गुट ने समारोह के लिए पुणे को ही चुना था। 2023 की जुलाई में अजित पवार ने उनसे अलग होने का तय किया और महायुति का हिस्सा बन गए। चाचा से बगावत और बीजेपी का साथ देने के बाद अजित पवार की पार्टी को असली एनसीपी की मान्यता दी गई।
रिपोर्ट: सतीश सिंह