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Success Story of 12th failed IPS officer: हिंदी छोड़कर इंटर के सभी विषय में हुए फेल…टेंपो चलाया, सड़कों पर कई रात गुजारी, कुछ ऐसी है आईपीएस मनोज शर्मा की कहानी

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! फेमस शेर शायद ऐसी शख्सियतों के लिए लिखा गया है जिनके कदम भले जमीन पर हैं, लेकिन उनके हौसलों और सपनों की उड़ान आकाश तक होती हैं।

By प्रिन्सी साहू 
Updated Date

Success story of 12th failed IPS officer:  कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! फेमस शेर शायद ऐसी शख्सियतों के लिए लिखा गया है जिनके कदम भले जमीन पर हैं, लेकिन उनके हौसलों और सपनों की उड़ान आकाश तक होती हैं।

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जो लोग जीवन में आने वाली तमाम मुश्किलों को चुनौतियों की तरह पार कर जाते है। जिनके हौसलें उनके हालतों से पस्त नहीं होते है। आज हम ऐसी ही शख्तियत के बारे में आपको बताने जा रहे है जिसके बारे में पढ़ने के बाद यकीनन आप अपनी जीवन में आगे बढ़ने और हर चुनौतियों को चीर कर सफलता पाने के लिए प्रेरित होंगे।

हम बात कर रहे ऐसे आईपीएस ऑफीसर की जिसने कामयाबी के कदम चूमने के लिए जिंदगी की तमाम मुश्किलों को पस्त कर दिया। वो आईपीएस ऑफिसर है मनोज शर्मा (Manoj Sharma) जो मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने हालातों के आगे घुटने नहीं टेके। पढ़ाई पूरी करने के लिए टैंपो चलाई, कुत्तों को टहलाया इसके बावजूद उनके माथे पर शिकन नहीं आयी।

साथ में पढ़ाई भी जारी रखी। इतना ही नहीं सड़क के किनारे रातें भी गुजारी। दिल्ली लाइब्रेरी में नौकरी की। जिंदगी जहां जहां जो कुछ सीखाती गई वो सिखते रहे। जिस तरह बहाव में पत्थर पर पानी पड़ते-पड़ते वह चिकना और खूबसूरत हो जाता है ठीक उसी तरह आईपीएस मनोज शर्मा (Manoj Sharma) भी जीवन में आने वाली मुश्किलों को पार करते करते निखरते गए। किसी तरह पढ़ाई पूरी की और तीन बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में फेल रहे। चौथी बार जब इस परीक्षा में बैठे तो 121 वीं रैंक हासिल करके वह आईपीएस ऑफिसर बने। इस समय मनोज शर्मा मुंबई में एडिशनल कमिश्नर पद पर तैनात हैं।

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के बिलग्राम में हुआ था जन्म

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मनोज शर्मा (Manoj Sharma) का जन्म 3 जुलाई में मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के बिलग्राम में 1975 में हुआ था। उनके पिता का नाम रामवीर शर्मा है। कक्षा 9 और कक्षा 10 में तृतीय श्रेणी से पास करने के बाद वह कक्षा 12वीं में हिंदी को छोड़कर सभी विषयों में फेल हो गए थे। 12th में वह फेल हो गए थे। इसके बाद घर की खराब आर्थिक स्थिती की वजह से टैक्सी चलाई, दूसरों के कुत्तों को टहलाने की नौकरी की। इसके बाद ग्वालियर के महारानी लक्ष्मीबाई गर्वनमेंट कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस से स्नातक किया।

पढ़ाई में थे कमजोर

मनोज (Manoj Sharma) पढ़ाई में शुरु से ही अच्छे नहीं थे। चंबल घाटी में स्कूल होने के कारण नकल हुआ करती थी तो जैसे तैसे वो 11वीं क्लास तक पढ़ाई पूरी की।12th में एसडीएम ने नकल पर रोक लगा दी गई, एसडीएम की कार्रवाई से मनोज शर्मा प्रभावित हुए। तब उन्हें पहले पता चला कि पहली बार पता चला पुलिस, प्रिसिंपल के ऊपर का भी कोई अधिकारी होता है। मनोज शर्मा (Manoj Sharma) 12 क्लास में फेल हो गए। लेकिन मनोज शर्मा के दिल दिमाग पर एसडीएम के रौब और रुतबे की ऐसी छवि बैठ गई कि उन्होंने अपना जीवन बदल डाला। 12वी क्लास के बाद मनोज शर्मा एमपीपीएससी की तैयारी के लिए ग्वालियर गए। जाते समय उनका पर्स और बैग चोरी हो गया। जिसकी वजह से तीन दिन बस स्टैंड पर गुजारे। इसके बाद मनोज शर्मा दिल्ली पहुंचकर एक दोस्त के साथ उसके कमरे में रहते हुए पढ़ाई करने लगे। वहीं लाईब्रेरी में पढ़ाई की। इसी बीच उन्होंने कुत्ते को टहलाने का काम किया, कार साफ किया और भी कई काम किए। इसके बाद प्री एक्जाम को पास कर लिया।

फिल्मी थी इनकी लव स्टोरी

दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी के दौरान मनोज शर्मा की मुलाकात उत्तराखंड की रहने वाली श्रद्धा से हुई और प्यार हो गया। मनोज तीन प्रयासों में फेल हो गए थे, जबकि श्रद्धा पीसीएस परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बन गई थीं। श्रद्धा के घरवाले इस रिश्ते के खिलाफ थे। इसी दौरान मनोज शर्मा ने कोशिशों में कमी नहीं आने दी आखिरकार चौथे प्रयास में वे 121 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर ली।

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2007 में श्रद्धा जोशी भी यूपीएससी परीक्षा पास कर आईआरएस ऑफिसर बन गई। आईपीएस ऑफिस मनोज शर्मा  (IPS Office Manoj Sharma) के जीवन के संघर्षों, असफलताओं के बीच सफलता की कहानी को लेखक विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म 12th फेल में दिखाया है। जो लोगो को काफी पंसद आ रही है।

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