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Sushila Karki jeevan parichay : जानें कौन हैं सुशीला कार्की? जो बनेंगी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री

Sushila Karki jeevan parichay : नेपाल में तीन दिनों जारी हिंसा व अशांति के बीच बड़ा फैसला सामने आया है। बताया जा रहा है कि करीब चार घंटे चली वर्चुअल बैठक में आंदोलनकारियों ने नेपाल सुप्रीम कोर्ट (Nepal Supreme Court) की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Former Chief Justice Sushila Karki) को अंतरिम नेता स्वीकार कर लिया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Sushila Karki jeevan parichay : नेपाल में तीन दिनों जारी हिंसा व अशांति के बीच बड़ा फैसला सामने आया है। बताया जा रहा है कि करीब चार घंटे चली वर्चुअल बैठक में आंदोलनकारियों ने नेपाल सुप्रीम कोर्ट (Nepal Supreme Court) की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Former Chief Justice Sushila Karki) को अंतरिम नेता स्वीकार कर लिया है। आपको बता दें कि कार्की को उनकी निष्पक्ष छवि और राजनीतिक दलों से दूरी के कारण चुना गया है। उनकी नियुक्ति नेपाल में महिलाओं के लिए समानता और संवैधानिक अधिकारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जारी रही है।

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सुशीला कार्की का जीवन सफर

सुशीला कार्की (Sushila Karki) का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ। सुशीला कार्की अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी हैं। वह विराटनगर के कार्की परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने दुर्गा प्रसाद सुबेदी (Durga Prasad Subedi) से विवाह किया, जिनसे उनकी मुलाकात बनारस में पढ़ाई के दौरान हुई थी। दुर्गा सुबेदी उस समय नेपाली कांग्रेस के एक लोकप्रिय युवा नेता थे । सुबेदी को पंचायत शासन के खिलाफ नेपाली कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के दौरान एक विमान के अपहरण में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है।

कार्की ने कानून की पढ़ाई के बाद 1979 में बिराटनगर से वकालत शुरू की। 1985 में उन्होंने महेंद्र मल्टिपल कैंपस, धरान में सहायक अध्यापक के तौर पर काम किया। 2007 में वे सीनियर एडवोकेट बनीं। 22 जनवरी 2009 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एड-हॉक जज नियुक्त किया गया और 2010 में स्थायी जज। 2016 में वे नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस (First Woman Chief Justice of Nepal) बनीं। यह खुद में ऐतिहासिक पल था। 11 जुलाई 2016 से लेकर 7 जून 2017 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बागडोर संभाली।

सुशीला कार्की का ऐसा रहा शैक्षिक सफर

1972 में, उन्होंने महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से कला स्नातक (BA) की डिग्री पूरी की। सुशीला कार्की ने नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। इससे पहले उन्होंने भारत के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से मास्टर्स की डिग्री ली थी।

2017 में लाया गया था महाभियोग प्रस्ताव

बताया जाता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई मुद्दों पर कड़ी कार्रवाई की है। साल 2017 में राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया। 30 अप्रैल 2017 को, माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस के तरफ से कार्की के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था। सुशीला कार्की (Sushila Karki) के पास उस वक्त भी इतना जन समर्थन था कि ये प्रस्ताव वापस लेना पड़ा , जिसमें संसद को प्रस्ताव पर आगे न बढ़ने का आदेश दिया गया था। वो अभी तक दो किताबें भी लिख चुकी हैं। इनमें से पहली उनकी आत्मकथा है, जिसका नाम ‘न्याय’ है और दूसरी ‘कारा’ है।

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