किसी भी प्रकार की शादी के लिए दो व्यक्ति का होना जरुरी है। एक वर और एक बधू एक साथ मिलकर शादी किये थे। इसके अलावा अगर एलजीबीटी मानवअधिकारों के तहत शादी करने वाले लोग भी परिणय सूत्र में बंधते हैं तो वो भी दो शरीरों के बीच ही होते हैं। इस बीच गुजरात और भारत का संभवत: यह पहला ऐसा मामला है, जब कोई लड़की खुद से ही अपनी शादी करने वाली है।
वड़ोदरा। किसी भी प्रकार की शादी के लिए दो व्यक्ति का होना जरुरी है। एक वर और एक बधू एक साथ मिलकर शादी किये थे। इसके अलावा अगर एलजीबीटी मानवअधिकारों के तहत शादी करने वाले लोग भी परिणय सूत्र में बंधते हैं तो वो भी दो शरीरों के बीच ही होते हैं। इस बीच गुजरात और भारत का संभवत: यह पहला ऐसा मामला है, जब कोई लड़की खुद से ही अपनी शादी करने वाली है।
गुजरात के वडोदरा में अनोखी शादी होने वाली है। शहर की क्षमा बिंदु खुद से ही ब्याह रचाने जा रही हैं। 11 जून को शादी का आयोजन है और वह उसके लिए पूरे उत्साह से जुटी हैं। मंडप सजाया जा रहा है, फेरों की व्यवस्था की जा रही है और जयमाला का भी आयोजन होगा। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में कोई वर नहीं होगा बल्कि अकेले वधू के तौर पर सजी क्षमा बिंदु होंगी। वह खुद से ही शादी करने वाली हैं, जिसे ‘सोलोगैमी’ कहा जाता है।
भारत में भले ही सोलोगैमी का यह पहला मामला है, लेकिन पश्चिमी देशों में इस ट्रेंड को शुरु हुए कई साल हो गए हैं। ऐसा पहला मामला अमेरिका का माना जाता है, जब 1993 में लिंडा बारकर ने खुद से शादी कर ली थी। उस शादी में उन्होंने 75 मेहमानों को भी आमंत्रित किया था और सभी रस्में अदा की थीं। खुद से शादी को लेकर लिंडा बारकर ने कहा था, ‘यह अपने लिए कुछ करने जैसा है। इसका संदेश यह है कि खुद को खुश रखने के लिए किसी का इंतजार न किया जाए।’