भारत-नेपाल सीमा पर वाहनों की ‘सुविधा’ प्रक्रिया बनी सिरदर्द, सोनौली बॉर्डर पर घंटों लंबी लाइनें
पर्दाफाश न्यूज़ ब्यूरो महराजगंज ::भारत से नेपाल में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के प्रवेश के लिए वर्षों से “सुविधा शुल्क” और “भंसार” (कस्टम टैक्स) जमा करना अनिवार्य है। यह व्यवस्था भले ही सीमा प्रबंधन और सुरक्षा की दृष्टि से उचित मानी जाती हो, लेकिन इसकी मौजूदा प्रक्रिया आम जनता के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं है।
सोनौली बॉर्डर से प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक, व्यापारी, मरीज और मेडिकल कॉलेज जाने वाले यात्री निजी या व्यावसायिक वाहनों से नेपाल जाते हैं। लेकिन ‘सुविधा’ और ‘भंसार’ के लिए महज एक ही खिड़की होने के कारण लोगों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है।
भीड़, अफरा-तफरी और अव्यवस्था
कई बार तो स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि संबंधित खिड़की अस्थायी रूप से बंद कर दी जाती है, जिससे लाइन में लगे लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है। इससे न केवल आम यात्री बल्कि आपातकालीन वाहनों तक को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दलालों का नेटवर्क कर रहा शोषण
इस अव्यवस्था का फायदा उठाने के लिए कुछ दलाल सक्रिय हो गए हैं, जो पैसे लेकर लोगों को लाइन से बचाकर जल्दी सुविधा दिलाने का दावा करते हैं। इससे यात्रियों का आर्थिक शोषण भी हो रहा है।
जनता की मांगें:
भंसार और सुविधा शुल्क प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त खिड़कियां खोली जाएं।
ऑनलाइन आवेदन या टोकन व्यवस्था लागू की जाए।
दलालों पर सख्त निगरानी रखी जाए और कार्रवाई हो।
सीमा पर व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए।
प्रशासन ने लिया संज्ञान
इस संबंध में रूपन्देही के जिलाधिकारी टेक राज पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि जल्द ही सुविधा शुल्क प्रक्रिया के लिए एक अतिरिक्त खिड़की खोली जाएगी, ताकि आम लोगों को हो रही परेशानी को कम किया जा सके।
यदि प्रशासन द्वारा समय रहते आवश्यक सुधार नहीं किए गए, तो यह न केवल आम जनता की समस्या बनी रहेगी, बल्कि भारत-नेपाल के मधुर संबंधों पर भी असर डाल सकती है।
