Contempt petition against Nishikant Dubey: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ की गई टिप्पणी का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस टिप्पणी के बाद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए एक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता ने सांसद निशिकांत दुबे की हालिया टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए मंजूरी मांगी गई। जिस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने दो टूक कहा कि आप इसे दायर करें, याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी मंजूरी की जरूरत नहीं है।
Contempt petition against Nishikant Dubey: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ की गई टिप्पणी का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस टिप्पणी के बाद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए एक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता ने सांसद निशिकांत दुबे की हालिया टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए मंजूरी मांगी गई। जिस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने दो टूक कहा कि आप इसे दायर करें, याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी मंजूरी की जरूरत नहीं है।
दरअसल, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने एक याचिका दायर की है। इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें भाजपा सांसद के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत नहीं है, बल्कि इसके लिए अटॉर्नी जनरल की इजाजत लेनी होगी। जिसके बाद तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी को पत्र लिखकर उनकी मंजूरी मांगी है। बता दें कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा 15(1)(b) और अवमानना के मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट के 1975 में बने नियमों में से नियम 3(c) के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू होती है। ऐसे में वकील ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को पत्र लिख कर निशिकांत दुबे के बयान की जानकारी दी है।
वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को लिखे पत्र में कहा है, “संविधान में सुप्रीम कोर्ट को दायित्व दिया गया है कि वह किसी कानून की संवैधानिकता की जांच करें। निशिकांत दुबे बातों को गलत तरीके रख कर सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने लिखा कि निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर मंदिरों के मामले में कागज मांगने और मस्जिदों को छूट देने का आरोप लगाया है। ऐसा कह कर वह समाज में सुप्रीम कोर्ट के प्रति सांप्रदायिक आधार पर अविश्वास फैला रहे हैं।” अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र यह कहा कि दुबे ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर उन्हें देश में सिविल वार के लिए जिम्मेदार भी बताया है। इस तरह के सभी वक्तव्य कंटेंप्ट आफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(c)(i) के तहत सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हैं। इसलिए, अटॉर्नी जनरल निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दें।