Mutiny in the Israeli army: इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग को डेढ़ साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है। जिसमें अब तक हजारों लोग जान गंवा चुके हैं और इजरायली सेना ने गाजा को पूरी तरह तबाह कर दिया है। वहीं, जंग के बीच इजरायली सेना में बगावत की खबर सामने आयी है। जिसे दबाने के लिए नेतन्याहू सरकार ने भी सख्त कदम उठाया है।
Mutiny in the Israeli army: इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग को डेढ़ साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है। जिसमें अब तक हजारों लोग जान गंवा चुके हैं और इजरायली सेना ने गाजा को पूरी तरह तबाह कर दिया है। वहीं, जंग के बीच इजरायली सेना में बगावत की खबर सामने आयी है। जिसे दबाने के लिए नेतन्याहू सरकार ने भी सख्त कदम उठाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना ने शुक्रवार को कहा कि उन वायु सैनिकों को सेवा से बाहर किया जाएगा, जिन्होंने गाजा पर हमले का विरोध किया था। उन लोगों पर ऐक्शन लिया जाएगा, जिन्होंने एक पत्र लिखकर कहा था कि सरकार यह जंग राजनीतिक फायदे के लिए लड़ रही है। सेना का मकसद बंधकों को घर वापस लाना नहीं है। इस पत्र पर समर्थन के तौर पर बड़ी संख्या में सैनिकों ने अपने हस्ताक्षर भी किए थे।
इजरायली सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह स्वीकार नहीं किया जाएगा कि कोई सेना के भीतर ही मतभेद की स्थिति पैदा करे। उन्होंने कहा कि यह ऐसा समय है, जब सभी को मिलकर लड़ना चाहिए। लेकिन, उलटे सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। इससे सैनिकों का मनोबल भी गिरता है। सेना ने दो टूक कहा है कि ऐसा कोई भी आरक्षित सैनिक अब सर्विस में नहीं रहेगा, जिसने पत्र पर हस्ताक्षर किया हो।
बता दें कि इजरायली मीडिया में गुरुवार को यह पत्र प्रकाशित हुआ था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना में शामिल 1000 एयरफोर्स रिजर्व सैनिकों और रिटायर जवानों ने ऐसे पत्र पर हस्ताक्षर किया था। हालांकि, इजरायली सेना ने यह नहीं बताया है कि कितने सैनिकों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।