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शोरूम के नक्शे पर खड़ा हुआ तीन मंजिला दीपा हॉस्पिटल, MDA पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

अपने निर्माण की कंपाउंडिंग कराने के लिए फाइल मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में प्रस्तुत की थी. कंपाउंडिंग के जरिए शोरूम को हॉस्पिटल में बदलवाना चाहता था. लेकिन इस बार प्राधिकरण ने उस फाइल को निरस्त कर दिया.

By Sushil Singh 
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मुरादाबाद:- मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में है. दिल्ली मुरादाबाद हाईवे किनारे मांगूपुरा में बने दीपा हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है. आरोप है कि जिस जमीन पर शोरूम का नक्शा पास कराया गया था, उसी स्थान पर नियमों को ताक पर रखकर तीन मंजिला आलीशान अस्पताल खड़ा कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि यह पूरा निर्माण MDA कार्यालय से मात्र 200 मीटर की दूरी पर है, जहां से अधिकारी रोजाना आना जाना करते हैं.

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प्राधिकरण ने दीपा हॉस्पिटल कंपाउंडिंग की फाइल की निरस्त :-

सूत्रों के अनुसार, मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद अस्पताल संचालक ने एक बार फिर अपने निर्माण की कंपाउंडिंग कराने के लिए फाइल मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में प्रस्तुत की थी. कंपाउंडिंग के जरिए शोरूम को हॉस्पिटल में बदलवाना चाहता था. लेकिन इस बार प्राधिकरण ने उस फाइल को निरस्त कर दिया. अब यह देखना अहम होगा कि इस पूरे मामले को उपाध्यक्ष अनुभव सिंह कितनी गंभीरता से लेते हैं और आगे क्या सख्त कार्रवाई होती है.

 

शोरूम की अनुमति, लेकिन बन गया अस्पताल:-

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एक व्यक्ति प्राधिकरण कार्यालय पहुंचा, संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की और शोरूम के नक्शे को पास कराने की प्रक्रिया पूरी हुई. नक्शा स्वीकृत होने के बाद, उसी जमीन पर शोरूम की बजाय कई मंजिला दीपा हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कर दिया गया. नियमों के अनुसार, भूमि उपयोग परिवर्तन, अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के बिना अस्पताल का संचालन संभव नहीं है. लेकिन आरोप है कि यहां इन नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई, फायर एग्जिट तक नहीं, मरीजों की सुरक्षा पर सवाल स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में फायर एग्जिट जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मरीजों की जान की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. बिना जरूरी एनओसी के अस्पताल का संचालन कैसे शुरू कर दिया गया यह भी जांच का विषय है.

डील हुई तो नियम बेमानी:-

आरोपों में यह भी कहा जा रहा है कि MDA में नियम कानून सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं. जिन निर्माणों से “डील” नहीं होती, उन पर बुलडोजर चलाने की बातें की जाती हैं. जबकि जिनसे समझौता हो जाता है, उनके लिए नियमों का कोई मतलब नहीं रह जाता.

200 मीटर दूर MDA दफ्तर, अधिकारीयों की आंखों पर बंधी पट्टी:-

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह कथित अवैध निर्माण प्राधिकरण कार्यालय के बेहद पास है. अभियंता, मेट, क्लर्क, सचिव और वीसी सभी अधिकारी रोज इसी रास्ते से गुजरते हैं, फिर भी लंबे समय तक किसी को कुछ दिखाई नहीं दिया. इससे प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि MDA प्रशासन और विशेष रूप से उपाध्यक्ष अनुभव सिंह, इस मामले में कितनी सख्ती दिखाते हैं. क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा.

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सुशील कुमार सिंह

मुरादाबाद

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