सनातन धर्म में आषाढ़ के महीने का बहुत महत्व होता है। इस दौरान मंगल और सूर्य की पूजा करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस महीने में मंगल की पूजा करने से कुंडली में बैठा मंगल अशुभ प्रभाव के बजाय शुभ प्रभाव देने लगता है।
Ashadh maah mein tirth yatra: सनातन धर्म में आषाढ़ के महीने का बहुत महत्व होता है। इस दौरान मंगल और सूर्य की पूजा करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस महीने में मंगल की पूजा करने से कुंडली में बैठा मंगल अशुभ प्रभाव के बजाय शुभ प्रभाव देने लगता है। इस महीने में भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. यह एकादशी के दिन होता है, इसलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. उस दिन से ही चातुर्मास भी शुरू होता है, जिसमें सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि देव शयन कर रहे होते हैं।
आषाढ़ माह प्रारंभ
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जून दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी। इस तिथि का समापन 23 जून रविवार को सुबह 05 बजकर 12 मिनट पर होगा।
आषाढ़ माह के नियम
आषाढ़ मास में ‘ऊँ नम: शिवाय और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
इस दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।
इस माह में सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
इस दौरान जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।
इस माह तीर्थ यात्रा बेहद पुण्यदायी मानी जाती है।
इस माह किसी के साथ गलत व्यवहार करने से बचना चाहिए।