पुराने समय में सेहत के लिहाज से घरों में खाना पकाने व पकवान तैयार करने के लिए शुद्ध देशी घी या फिर सरसों का तेल या मूंगफली आदि के तेल का इस्तेमाल किया जाता था। बदलते समय के साथ लोगो ने इसकी जगह रिफाइंड का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। घर में बनने वाले पूड़ी भटूरा पकवान से लेकर अन्य चीजों में भी रिफाइंड तेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह लोगो की सेहत बिगाड़ रहा है। इसी वजह से हार्ट से संबंधित बीमारियां आदि का अधिक खतरा हो रहा है।
पुराने समय में सेहत के लिहाज से घरों में खाना पकाने व पकवान तैयार करने के लिए शुद्ध देशी घी या फिर सरसों का तेल या मूंगफली आदि के तेल का इस्तेमाल किया जाता था। बदलते समय के साथ लोगो ने इसकी जगह रिफाइंड का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। घर में बनने वाले पूड़ी भटूरा पकवान से लेकर अन्य चीजों में भी रिफाइंड तेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह लोगो की सेहत बिगाड़ रहा है। इसी वजह से हार्ट से संबंधित बीमारियां आदि का अधिक खतरा हो रहा है।
रिफाइंड तेल में कैलोरी अधिक होती है। जिसकी वजह से पेट और कमर के आस पास अधिक चर्बी जमने लगती है। मोटापे की समस्या होने लगती है। रिफाइंड तेल में अधिक से अधिक ट्रांस फैट्स का इस्तेमाल करने से हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है क्योंकि इससे खून की नसों में कोलेस्ट्रॉल लेवल में इजाफा होता है। रिफाइंड ऑयल को तैयार करने और इसे प्रॉसेस करने में काफी ज्यादा एयर पॉल्यूशन होता है जो लंग्स डिजीज और ग्लोबल वार्मिंग की वजह बन जाता है।
डायबिटीज के मरीजों को रिफाइंड ऑयल में तैयार भटूरे बिलकुल भी नहीं खाने चाहिए क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है जो तबीयत बिगड़ने की वजह बनता है। रिफाइंड ऑयल के पैकेजिंग से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा जमा होता है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, ये सॉइल पॉल्यूशन का बड़ा कारण बनता है। रिफाइंड ऑयल का ज्यादा सेवन करने से मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स हो सकते हैं।रिफाइंड ऑयल की प्रोसेसिंग में विटामिंस और मिनरल्स जैसे कई अहम न्यूट्रिएंट नष्ट हो जाते हैं जो सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।