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Bhadrapada month Rules : भाद्रपद मास में भगवान कृष्ण को अर्पित करें पंचगव्य , इन कार्यों से बचें

सनातन धर्म में भाद्रपद के महीने का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। ये चातुर्मास का दूसरा महीना है । इसे आम बोलचाल की भाषा में भादो कहते हैं।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Bhadrapada month Rules : सनातन धर्म में भाद्रपद के महीने का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। ये चातुर्मास का दूसरा महीना है । इसे आम बोलचाल की भाषा में भादो कहते हैं। इस माह में विघ्नहर्ता गणेश के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। साथ ही इस महीने में गौरी-शंकर की आराधना हरतालिका तीज व्रत के रूप में की जाती है। भाद्रपद अमावस्या के कुछ समय बाद ही पितृपक्ष की शुरुआत हो जाती है। वहीं अमावस्या तिथि को भी श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने में स्नान दान के साथ-साथ कुछ नियमों का पालन करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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भाद्रपद मास 2024 प्रारंभ
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 19 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगी।

समापन तिथि
भादो महीना 20 अगस्त की रात 8 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में भाद्रपद माह 20 अगस्त से आरंभ होगा और 17 सितंबर 2024 को समाप्त होगा।

1.भाद्रपद मास में ईश्वर की पूजा, जप और व्रत करने के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। वहीं भाद्रपद मास में तामसिक चीजों का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए।

2.भाद्रपद मास  के दौरान पंचगव्य का सेवन आवश्यक है। पंचगव्य में पाँच गाय के उत्पाद जैसे गोबर, दूध, घी, गोमूत्र, दही शामिल हैं। मान्यता है कि भाद्रपद मास में गाय के दूध का सेवन करने और भगवान कृष्ण को पंचगव्य अर्पित करने से वंश वृद्धि होती है। भाद्रपद महीने के दौरान, भक्तों को अपना भोजन स्वयं तैयार करना चाहिए और दूसरों का खाना खाने से बचना चाहिए।

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3.इस माह में सभी तरह की सुख सुविधाओं का त्याग कर देना चाहिए और पलंग पर सोना भी छोड़ देना चाहिए। जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर सोना चाहिए।

 

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