Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर दबाव की राजनीति चरम पर है। एकतरफ जहां लोजपा-आर के अध्यक्ष चिराग पासवान अपनी सरकार की आलोचना करने में लगे हुए हैं तो दूसरी तरफ वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) प्रमुख मुकेश सहनी ने सीटों की हवा-हवाई डिमांड करके महागठबंधन मुश्किलें बढ़ा रखीं हैं। सहनी ने आरजेडी और कांग्रेस से 60 सीटों की डिमांड की है। इस बीच उन्हें एनडीए में शामिल होने का खुला ऑफर भी मिल रहा है।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर दबाव की राजनीति चरम पर है। एकतरफ जहां लोजपा-आर के अध्यक्ष चिराग पासवान अपनी सरकार की आलोचना करने में लगे हुए हैं तो दूसरी तरफ वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) प्रमुख मुकेश सहनी ने सीटों की हवा-हवाई डिमांड करके महागठबंधन मुश्किलें बढ़ा रखीं हैं। सहनी ने आरजेडी और कांग्रेस से 60 सीटों की डिमांड की है। इस बीच उन्हें एनडीए में शामिल होने का खुला ऑफर भी मिल रहा है।
दरअसल, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने सोमवार को ऐलान किया था कि उनकी पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर लड़ेगी। महागठबंधन की शेष सीटों पर उनके उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। उनकी इस हवा-हवाई डिमांड ने महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा रखीं हैं। दोनों दल सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई माले जैसे संगठन को एकजुट करने में लगे हुए हैं और एनडीए के खिलाफ नए साथियों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। सीट बंटवारे की बात करें तो कांग्रेस और आरजेडी अपने कोटे की सीटें कम करके भी वीआईपी को 10-15 सीट से ज्यादा नहीं दे पा रहे हैं। वीआईपी के अलावा, सीपीआई माले अपने पिछले प्रदर्शन के आधार पर 40 सीटों पर दावा कर रही है। वहीं, पशुपति पारस भी सम्मानजनक सीटें चाहते हैं। जिससे महागठबंधन में सीटों के लिए सियासी घमासान मचा हुआ है।
पाला बदलेंगे मुकेश सहनी?
विपक्षी महागठबंधन में सीटों को लेकर घमासान के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और मंत्री संतोष कुमार सुमन ने मौके को भांपते हुए मुकेश सहनी को एनडीए में शामिल होने का ऑफर दिया है। उन्होंने कहा, “अगर मुकेश सहनी एनडीए में आना चाहते हैं, तो उनका खुले दिल से स्वागत होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “निषाद समुदाय अब एनडीए की विकासोन्मुखी विचारधारा के साथ खड़ा है और सहनी को भी उसी धारा में बहना चाहिए। जहां सम्मान और अवसर नहीं मिल रहा, वहां रुकना ठीक नहीं।” हालांकि, मुकेश सहनी अगर एनडीए में शामिल हो जाते हैं तो कोई गारंटी नहीं कि उन्हें ज्यादा सीटें मिलेंगी, क्योंकि वहां पहले ही लोजपा-आर, हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी जेडीयू-बीजेपी पर ज्यादा सीटों का दबाव बना रहे हैं।