HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Govardhan Puja 2023 : गोवर्धन पूजा 14 व भाई दूज 15 नवंबर को, जानें पूजा विधि और पूरी कथा

Govardhan Puja 2023 : गोवर्धन पूजा 14 व भाई दूज 15 नवंबर को, जानें पूजा विधि और पूरी कथा

Govardhan Puja 2023 : दीपावली से ठीक एक दिन बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) 13 नवंबर के बजाए 14 नवंबर को की जाएगी। इस दिन श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Govardhan Puja 2023 : दीपावली से ठीक एक दिन बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) 13 नवंबर के बजाए 14 नवंबर को की जाएगी। इस दिन श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन, वृंदावन और मथुरा सहित पूरे बृज में इस दिन जोर-शोर से अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव कार्तिक प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।

पढ़ें :- 18 May ka Itihas: ये हैं आज के दिन की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाते हैं। इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और गोमाता की पूजा करने का विधान है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के अहंकार को नष्ट किया था। इस दिन मंदिरों के अलावा कॉलोनी आदि में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान के बड़े सुंदर प्रतिरूप बनाकर पूजा की जाती है।

जाने पूरी कथा 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इंद्र ने कुपित होकर जब मूसलाधार बारिश की तो श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों व गायों की रक्षार्थ और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत, छोटी अंगुली पर उठा लिया था। उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुरक्षित रहे। तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है,उनसे बैर लेना उचित नहीं है। तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की।इन्द्र के अभिमान को चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने सभी गोकुल वासियों सहित कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।

पढ़ें :- 18 मई 2024 का राशिफल : शनि देव की इन राशियों पर बरसेगी कृपा, जानें आपका कैसे बीतेगा दिन

पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)  करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।इसके बाद अपने परिवार सहित श्रीकृष्ण स्वरुप गोवर्धन की सात प्रदक्षिणा करें। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से एवं गायों को गुड़ व चावल खिलाने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। इस दिन गाय की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है।

भाई दूज 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर वर्ष भाई दूज ( Bhai Dooj) के रूप में मानते हैं। इस पर्व को सबसे पहले यमुना जी ने अपने भाई यमराज को तिलक किया था इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को उपहार स्वरूप यह वचन दिया था कि वर्ष में एक बार मैं आपके पास अवश्य आऊंगा। जो भाई अपनी बहन से इस दिन तिलक करवाएगा, साथ में यमुना नदी में स्नान करेंगे उनको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

पढ़ें :- लखनऊ में DRDO का मॉडल हेलीकॉप्टर कहां 'उड़' गया? नगर निगम के पास नहीं है इसका जवाब
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...