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अगर रेत पर घर शहर बसा सकते हैं तो महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार के लिए क्यों नहीं इस तरह की इच्छाशक्ति दिखाई जा रही : चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया एक्स पर महाकुंभ की वीडियो को शेयर किया है। इसके साथ ही लिखा, सरकार के पास इतनी शक्ति होती है कि जब सरकार ठान लेती है, तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। 6 महीने में रेत पर इस तरह एक शहर बसाना भी इसी शक्ति का उदाहरण है, जो दर्शाता है कि अगर सरकार चाहती है, तो किसी भी बड़ी चुनौती का समाधान किया जा सकता है।

By शिव मौर्या 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नगीना से आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने महाकुंभ को लेकर सरकार की तारीफ की तो दूसरी ओर सरकार पर तंज कसते हुए सवाल भी उठा दिए। उन्होंने कहा कि, सरकार ठान लेती है तो 6 महीने में रेत पर भी शहर बसा देती है लेकिन शिक्षा, चिकित्सा, महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार और बच्चों के भविष्य के लिए क्यों नहीं इस तरह की इच्छाशक्ति दिखाई जा रही है।

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चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया एक्स पर महाकुंभ की वीडियो को शेयर किया है। इसके साथ ही लिखा, सरकार के पास इतनी शक्ति होती है कि जब सरकार ठान लेती है, तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। 6 महीने में रेत पर इस तरह एक शहर बसाना भी इसी शक्ति का उदाहरण है, जो दर्शाता है कि अगर सरकार चाहती है, तो किसी भी बड़ी चुनौती का समाधान किया जा सकता है।

लेकिन जब बात आती है देश के गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े, दलित, आदिवासी और महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की, तो सवाल उठता है कि यदि इन आयोजनों को इतने बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा सकता है, तो शिक्षा, चिकित्सा, महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार और बच्चों के भविष्य के लिए क्यों नहीं इस तरह की इच्छाशक्ति दिखाई जा रही है।

झांसी में आग लगने से नवजात बच्चों की मौत और ऑक्सीजन की कमी से बच्चों का दम तोड़ना—ये घटनाएं साफ दिखाती हैं कि जनता की जान और उनके बुनियादी अधिकार हमारी प्राथमिकताओं में कहीं पीछे रह गए हैं। क्या हमारी प्राथमिकताएं गलत हैं? क्या सामाजिक उत्थान की दिशा में गंभीरता की कमी है? क्या व्यापक जनकल्याण में सरकार से हमारे द्वारा सवाल करना गलत है? यदि समाज के वंचित तबकों के उत्थान के लिए भी उसी दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति से काम किया जाए, तो एक स्थायी बदलाव संभव है। जय भीम, जय भारत, जय संविधान।

 

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