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1982 फिल्म नहीं बनती तो ‘गांधी’ को कोई नहीं जानता, क्या आप पीएम मोदी के बयान से हैं सहमत?

लोकसभा चुनाव 2024 के बीच देश के पीएम नरेंद्र मोदी कई ऐसे बयान दिए हैं, जिस पर सवाल उठना लाजिमी है। लीजिए, प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को घेरते-घेरते एक न्यूज चैनल को दिए ताजा इंटरव्यू में अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा। अब तो वह महात्मा गांधी को लेकर ही अजीबो-गरीब बात कह गए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के बीच देश के पीएम नरेंद्र मोदी कई ऐसे बयान दिए हैं, जिस पर सवाल उठना लाजिमी है। लीजिए, प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को घेरते-घेरते एक न्यूज चैनल को दिए ताजा इंटरव्यू में अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा। अब तो वह महात्मा गांधी को लेकर ही अजीबो-गरीब बात कह गए। उन्होंने दावा कि दुनिया को महात्मा गांधी के बारे में फिल्म से पता चला। कांग्रेस की आलोचना करते हुए दावा किया कि रिचर्ड एटनबरो की 1982 की फिल्म ‘गांधी’ बनने तक दुनिया को महात्मा गांधी के बारे में ज्यादा पता नहीं था।

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पीएम मोदी ने कहा कि फिल्म बनने से पहले  कोई नहीं जानता था महात्मा गांधी को?

इंटरव्यू में  पीएम मोदी ने कहा कि ‘महात्मा गांधी एक महान आत्मा थे। क्या इस 75 साल में हमारी ज़िम्मेदारी नहीं थी कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जाने? फिल्म बनने से पहले  कोई नहीं जानता था महात्मा गांधी को। पहली बार 1982  में जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया को जिज्ञासा हुई ये कौन? लेकिन हमने नहीं किया। यह कहकर पीएम मोदी (PM Modi) ने कांग्रेस पार्टी का नाम लिए बगैर घेरा था।

उन्होंने आगे कहा कि अगर दुनिया मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला को जानती है तो गांधी उनसे कम नहीं थे और आपको यह स्वीकार करना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि मैं दुनिया भर की यात्रा करने के बाद यह कह रहा हूं कि गांधी और उनके माध्यम से भारत को मान्यता मिलनी चाहिए थी।’ विपक्ष की भारत की संस्कृति और मूल्यों की समझ के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। तो अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या दुनिया 1982 से पहले गांधी को जानती नहीं थी?

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को 1937 और 1948 के बीच पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया

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बता दें ​कि वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं। बतातें चलें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को 1937 और 1948 के बीच प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार नामांकित किया गया था, लेकिन उन्हें कभी पुरस्कार नहीं मिला।

महात्मा गांधी के बारे में अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था आने वाली ​पीढ़ियां मुश्किल से विश्वास ​करेंगी,ऐसा कोई व्यक्ति आया था धरती पर

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में लिखा था कि आने वाली पीढ़ियां मुश्किल से ही यह विश्वास कर पाएंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था। देश की आजादी में अहम भूमिका अदा करने वाले प्रभावशाली राजनेता मोहनदास करमचंद गांधी पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के पुजारी के रूप के रूप में प्रसिद्ध हैं।

1912 में जब दक्षिण अफ़्रीका से भारत लौटे थे पूरी दुनिया के लिए  बन चुके थे सेलेब्रिटी 

पीएम मोदी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भारत सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी जी पर पहली किताब और उनकी जीवनी 1909 में दक्षिण अफ़्रीका में लिखी गई थी। इसके लेखक एक अंग्रेज़ पादरी रेवरेंड डोके थे। गांधीजी उसके छह साल बाद भारत लौटे थे। तब तक वे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में जाने जा चुके थे, आज की भाषा में सेलेब्रिटी बन चुके थे। वैसे तो आज के भक्त विद्वानों के आगे बेचारे आइंस्टाइन क्या हैं? लेकिन उन जैसे छोटे-मोटे विज्ञानी जब गांधी के बारे में अभूतपूर्व शब्दों में प्रशंसा कर रहे थे तब एटनबरो की फ़िल्म ‘गांधी’ का विचार भी पैदा नहीं हुआ था।’

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‘टॉलस्टॉय ने गांधी के अफ़्रीका संघर्ष की तुलना ईसा मसीह से की और रोम्यां रोलां ने उन्हें कृष्ण का अवतार कहा था

पत्रकार पीयूष बाबेले ने पीएम मोदी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नेलिखा उनकी ख्याति फ़िल्म से नहीं, उनके संघर्ष से फैली थी। उन्होंने कहा कि ‘टॉलस्टॉय ने गांधी के अफ़्रीका संघर्ष की तुलना ईसा मसीह से कर दी थी और रोम्यां रोलां ने उन्हें कृष्ण का अवतार कह दिया था।’

गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी को दुनिया ने ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना

बता दें कि 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में घोषित किया। उन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर केंद्र प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व नेताओं और नागरिकों को वार्षिक महात्मा गांधी शांति पुरस्कार भी प्रदान करता है।

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