सर्दियों में एसी पंखा सब बंद रहता है ऐसे में मच्छरों का आतंक और बढ़ जाता है। डेंगू,मलेरिया से लेकर तमाम तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है।इसलिए कई लोग घरों में मच्छरों के भगाने के लिए कॉइल जलाते हैं।
सर्दियों में एसी पंखा सब बंद रहता है ऐसे में मच्छरों का आतंक और बढ़ जाता है। डेंगू,मलेरिया से लेकर तमाम तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है।इसलिए कई लोग घरों में मच्छरों के भगाने के लिए कॉइल जलाते हैं।
इससे मच्छरों से तो छुटकारा मिल जाता है लेकिन इससे निकलने वाला जहरीला धुआं आपके फेफड़ों पर बुरा असर डाल कर आपको मुश्किल में डाल सकताहै। इस जहरीले धुएं से अस्थमा,क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यहां तक की सिर दर्द और तमाम सांस से संबंधित बीमारियों को भी ट्रिगर कर सकता है।
मच्छर मारने वाली कॉइल का इस्तेमाल आमतौर पर अधिकतर घरों में किया जाता है। इस कॉइल में एल्मुनियम, क्रोमियम और टिन जैसी धातुओं और कीटनाशक आदि डाला जाता है।साथ ही खुशबू वाले पदार्थ होते है जिससे मच्छर दूर भागते है और आपको काटने की संभावना को कम करते है।लेकिन मच्छर से निकलने वाला धुआं बीमारियों की वजह बन सकता है।
मच्छर मारने वाला कॉइल में कार्सिनोजेन्स होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा मच्छर मारने वाली कॉइल के जलने से अस्थमा का दौरा, सांस लेने में समस्या और खांसी भी हो सकती है।कॉइल में मौजूद धातुएं चकत्ते और एलर्जी को भी आमंत्रित कर सकती हैं। इसलिए, कॉइल का उपयोग करते समय सतर्क रहें।
कॉइल में ऐसे रसायन होते हैं जिन्हें साँस के ज़रिए अंदर लेना सुरक्षित नहीं है, और इनडोर वायु प्रदूषण के कारण सांस लेने में समस्याएं पैदा कर सकते हैं या उन्हें बढ़ा सकते हैं। इनसे आंखों में जलन या एलर्जी भी हो सकती है। इन रसायनों से गंभीर बीमारियाँ, खांसी, घरघराहट, लगातार छींक आना, अस्थमा, गले में खराश, मतली और चक्कर आना, सांस लेने में जलन और यहां तक कि दम घुटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।