आध्यात्मिक शुद्धता के लिए ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा विशेष तिथि है। इस तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं।
Jyeshtha Purnima 2025 : आध्यात्मिक शुद्धता के लिए ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा विशेष तिथि है। इस तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इसके साथ ही उनकी किरणें धरती पर समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं। इस दिन स्नान और दान-धर्म करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। भक्त गण इस दिन नदियों, विशेषकर पवित्र गंगा में डुबकी भी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक शुद्धता आती है। यह तिथि भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भी उत्तम मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ज्योतिष के कुछ आसान उपाय करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है-
ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर होगा। ऐसे में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का व्रत 11 जून को करना उचित माना जा रहा है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय
पैसों की तंगी से छुटकारा पाने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन एक लोटे अंदर पानी में दूध मिलाकर और पतासा डालकर पीपल के पेड़ को अर्पित करें। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए ऐसा करने से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और करियर-कारोबार में तरक्की के योग बनते हैं।
अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष या चंद्रमा कमजोर है तो उपाय के रूप में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगाजल में थोड़ा-सा दूध मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से चंद्र दोष दूर हो जाता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली बनी रहती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दान देने का विशेष महत्व है।