प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते है। इसका असर बीपी पर भी पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान बीपी में उतार चढ़ाव का होना सामान्य है,लेकिन लगातार हाई बीपी रहना हानिकारक हो सकता है। हाई बीपी का असर मां और होने वाले बच्चे दोनो पर पड़ता है। इसलिए बीपी नार्मल रहना बहुत जरुरी है। इसके लिए समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहे।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते है। इसका असर बीपी पर भी पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान बीपी में उतार चढ़ाव का होना सामान्य है,लेकिन लगातार हाई बीपी रहना हानिकारक हो सकता है। हाई बीपी का असर मां और होने वाले बच्चे दोनो पर पड़ता है। इसलिए बीपी नार्मल रहना बहुत जरुरी है। इसके लिए समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहे।
प्रेगनेंसी में बीपी बढ़ने पर सिर में दर्द,सीने में दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान बीपी चेक जरुर कराते रहें। प्रेगनेंसी में लगातार बीपी हाई रहने की वजह से समय से पहले डिलीवरी के बाद स्ट्रोक के साथ ही मां और होने वाले बच्चे की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा बना रहता है। हाई बीपी का गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ महिला के हार्ट, किडनी और लिवर जैसे अंगो पर असर पड़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान बीपी नार्मल रखने की कोशिश करें। अंसुलित भोजन, मोटापा स्ट्रेस की वजह से प्रेगनेंसी के दौरान बीपी बढ़ सकता है। इसलिए बीपी को कंट्रोल करने के इन चीजों नियंत्रित रखें। स्ट्रेस लेने से बचें।
स्ट्रेस की वजह से बीपी बढ़ता है।इसलिए योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। अगर धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन करती हैं तो इससे बचें। प्रेगनेंसी के दौरान धूम्रपान और अल्कोहल से होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।