जाली नोट बरामदगी के वांटेड हिस्ट्रीशीटर को पुलिस ने दबोचा
पर्दाफाश न्यूज़ ब्यूरो महराजगंज :: इंडो-नेपाल बार्डर के ठूठीबारी कस्बे में नकली व चलन से बाहर हो चुके 1.44 लाख रुपये नोट की बरामदगी में वांटेड आरोपित सुरेन्द्र कुमार दुबे उर्फ मनोज दूबे पुत्र दुर्गा(60) निवासी गड़ौरा हाल पता सिन्दुरिया को ठूठीबारी पुलिस ने गड़ौरा चीनी मिल के पास से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। प्रकरण में सुरेन्द्र दूबे फरार चल रहा था। उसका साथी पकड़ा गया था।
ठूठीबारी की मंडी में नकली नोट देकर सूखी मछली खरीदने पर दुकानदार ने बीते 13 सितंबर को लोगों के साथ एक आरोपित को पकड़ लिया था। उसका दूसरा साथी मौके से फरार हो गया। पकड़े गये आरोपित की पहचान रामविनोद शर्मा पुत्र जनार्दन(50) निवासी हरिहरपुर थाना सिदुरिया के रूप में हुई थी। उसके पास से पांच सौ रूपये के दस जाली नोट का कुल पांच हजार रूपया, पुराना बंद हो चुके पांच-पांच सौ का 45 हजार रूपया व एक-एक हजार रूपया की 99 हजार की करेंसी मिली थी। इसके अलावा एक हजार रूपया का नेपाली जाली नोट भी मिला था। इस मामले में राम विनोद शर्मा व सुरेन्द्र कुमार दुबे उर्फ उर्फ मनोज कुमार द्विवेदी पुत्र दुर्गा निवासी गड़ौरा थाना ठूठीबारी के खिलाफ पुलिस बीएनएस की सुसंगत धाराओं के तहत केस दर्ज की थी। फरार सुरेन्द्र दूबे की गिरफ्तारी के लिए पुलिस तलाश कर रही थी।
सुरेन्द्र दूबे के अपराधों की लंबी है फेहरिस्त, नकली करेंसी में जा चुका है जेल
नकली व बंद हो चुके नोट की बरामदगी के मामले में पकड़ा गया सुरेन्द्र कुमार दुबे उर्फ मनोज कुमार द्विवेदी थाना ठूठीबारी का हिस्ट्रीशीटर भी है। जिसका एचएम नंबर 17ए है। पूर्व में फर्जी करेन्सी नोट के मामले में जेल भी जा चुका है। उसके खिलाफ सिन्दुरिया, निचलौल, बरगदवा, कोतवाली, पड़रौना थाना में आठ केस दर्ज हैं। पडरौना में वर्ष 2001 में एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई हुई थी। वर्ष 2002 उसमें उसके खिलाफ कोतवाली पुलिस केटा एक्ट व यूपी गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई कर चुकी है।
पुलिस व स्वाट की संयुक्त टीम ने पकड़ा
ठूठीबारी कोतवाली के एसओ योगेन्द्र कुमार ने बताया कि एसआई दिव्य प्रकाश, कांस्टेबल अनूप कुमार, प्रमोद यादव व स्वाट टीम प्रभारी एसआई अखिलेश सिंह की संयुक्त टीम ने मुखबिर की सूचना पर वांटेड आरोपित सुरेन्द्र कुमार दुबे उर्फ मनोज दूबे को गड़ौरा चीनी मिल के पास से गिरफ्तार किया गया। आवश्यक विधिक कार्रवाई के बाद उसे न्यायालय चालान किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।