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‘मुगल शासक अकबर की शादी रानी नहीं, दासी की बेटी से हुई थी…’ राजस्थान के गवर्नर हरिभाऊ बागड़े का बड़ा दावा

Akbar and Jodha Bai Controversy: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के मुगल शासक अकबर पर दिये ताजा बयान एक नई बहस छेड़ दी है। राजस्थान ने दावा किया है कि अकबर और जोधाबाई की शादी को लेकर कहानियां झूठी और गलत हैं। उनका कहना है कि अकबर की शादी आमेर शासक भारमल की दासी की बेटी से हुई थी। 

By Abhimanyu 
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Akbar and Jodha Bai Controversy: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े (Governor Haribhau Bagde) के मुगल शासक अकबर पर दिये ताजा बयान एक नई बहस छेड़ दी है। राजस्थान ने दावा किया है कि अकबर और जोधाबाई की शादी को लेकर कहानियां झूठी और गलत हैं। उनका कहना है कि अकबर की शादी आमेर शासक भारमल की दासी की बेटी से हुई थी।

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दरअसल, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े (Governor Haribhau Bagde) बुधवार शाम उदयपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। जिसमें उन्होंने 1569 में आमेर शासक भारमल की बेटी और अकबर के बीच विवाह के ऐतिहासिक तथ्यों पर सवाल खड़े कर दिये। राज्यपाल ने दावा किया है कि भारतीय इतिहास में ब्रिटिश इतिहासकारों के शुरुआती प्रभाव के कारण कई गलत और झूठे तथ्य दर्ज हैं।

राज्यपाल बागड़े ने कहा, ‘ऐसा कहा जाता है कि जोधा और अकबर की शादी (Marriage of Jodha and Akbar) हुई। उस पर फिल्म भी बनी। इतिहास की किताबें भी यही कहती हैं, लेकिन यह झूठ है।’ उन्होंने दावा किया कि भारमल नाम के जो राजा थे, उन्‍होंने अपनी एक दासी की बेटी की शादी अकबर से करवाई थी। उन्होंने कहा कि अकबरनामा में जोधा और अकबर की शादी का कोई उल्लेख नहीं है।

राजस्थान के राज्यपाल बागड़े ने कहा, ‘हमारे शूरवीरों का इतिहास अंग्रेजों ने बदला। उन्होंने इसे ठीक से नहीं लिखा और इतिहास का उनका संस्करण शुरू में स्वीकार कर लिया गया। बाद में, कुछ भारतीयों ने इतिहास लिखा, लेकिन यह भी अंग्रेजों से प्रभावित था।’

इस दौरान राज्यपाल ने राजपूत शासक महाराणा प्रताप की ओर से अकबर को संधि की चिठ्ठी लिखने के ऐतिहासिक दावे का भी विरोध किया और इसे पूरी तरह गलत बताया।  उन्होंने कहा, ‘महाराणा प्रताप ने कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। इतिहास में अकबर के बारे में ज्यादा और महाराणा प्रताप के बारे में कम पढ़ाया जाता है।’

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बागड़े ने यह भी कहा, ‘अब धीरे-धीरे स्थितियां सुधर रही हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को सहेजते हुए हर क्षेत्र में अग्रसर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।’ उन्होंने महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज को राष्ट्र भक्ति का प्रतीक बताया।

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