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Pahalgam Terror Attack : मृतकों को शहीद का दर्जा की मांग वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- ये काम सरकार का

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने मंगलवार को पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में मारे गए 26 लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। यह फैसला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू (High Court Chief Justice Sheel Nagu) और जस्टिस सुमित गोयल (Justice Sumit Goel) की बेंच ने सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट नई नीतियां नहीं बना सकता। ये काम सरकार का है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने मंगलवार को पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में मारे गए 26 लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। यह फैसला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू (High Court Chief Justice Sheel Nagu) और जस्टिस सुमित गोयल (Justice Sumit Goel) की बेंच ने सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट नई नीतियां नहीं बना सकता। ये काम सरकार का है।

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बेंच ने याचिकाकर्ता को यह भी कहा कि वह अपनी मांग या शिकायत उचित अधिकारी या अथॉरिटी को लिखकर दे। इसके बाद 30 दिन के अंदर उसकी मांग पर विचार किया जाएगा। दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में करनाल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की भी मौत हुई थी। वह अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून पर गए हुए थे।

कोर्ट ने पूछा कि क्या ये अनुच्छेद 226 में आता है?

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शील नागू (Chief Justice Sheel Nagu)ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्हें शहीद घोषित करना अनुच्छेद 226 के अंतर्गत आता है? अगर ऐसा है तो उदाहरण देकर बताइये। क्या कोर्ट ऐसा फैसला ले सकती है? यह फैसला तो सरकार को लेना चाहिए, क्योंकि यह उनका काम है। इसका जवाब देते हुए याचिकाकर्ता एडवोकेट आयुष आहूजा ने कहा, निर्दोष पर्यटकों को धर्म के नाम पर आतंकवादियों ने सिर पर गोली मार दी, इन सभी का भी एक सैनिक की तरह सम्मान होना चाहिए।

2 मई को लगाई गई थी याचिका

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हाईकोर्ट के एडवोकेट आयुष आहूजा (High Court advocate Ayush Ahuja) ने 2 मई को याचिका लगाई थी। उन्होंने केंद्र और प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्देश देने की मांग की थी, कि मरने वालों को शहीद का दर्जा दिया जाए। मरने वालों के नाम सोने के अक्षरों में लिखे जाएं और उनकी मूर्तियां लगाई जाएं। जहां हमला हुआ, उस जगह का नाम बदला जाए। नया नाम “यादगार शहीद/शहीद हिंदू घाटी पर्यटन स्थल” रखा जाए।

केंद्र ने कहा था- याचिकाकर्ता को नहीं पता सरकार क्या कर रही

याचिका का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) सत्य पाल जैन ने केंद्र सरकार की ओर से कहा था कि याचिकाकर्ता को पता नहीं है कि भारत सरकार क्या कर रही है। गृह मंत्री उसी शाम श्रीनगर पहुंच गए। हम दूसरे देश के साथ युद्ध के कगार पर हैं। यह ऐसे मुद्दों को उठाने का समय नहीं है, हम अन्य चीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

कोर्ट ने कहा था कि विचार करना चाहिए

याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस शील नागू ने कहा था, कि भले ही कोई सैनिक मर जाए, उन्हें पुरस्कार के लिए विचार किया जाना चाहिए, लेकिन यह तुरंत नहीं दिया जाता है। इसमें समय लगता है। आमतौर पर कम से कम एक साल का टाइम हो जाता है। इस मामले में भी फैसला सुनाएंगे। इसके बाद 6 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में मारे गए करनाल के विनय नरवाल 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल कोच्चि में तैनात थे। वह अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून पर पहलगाम गए थे। 16 अप्रैल को उनकी शादी हुई थी और 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन हुआ था। 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें विनय समेत 26 लोगों की जान चली गई। हिमांशी ने बताया कि आतंकवादियों ने विनय का धर्म पूछा और उनके जवाब पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

पिता ने कहा था कि सरकार फैसला लेगी

विनय नरवाल (Vinay Narwal) के पिता राजेश ने पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना (Indian Army) की एयर स्ट्राइक (Air strike) पर कहा कि राष्ट्र के तौर पर बहुत बढ़िया कार्रवाई हुई है और बदला लिया गया है, लेकिन एक परिवार के लिए इसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। शहीद के दर्जे के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और जो भी फैसला लेगी, वह सही होगा।

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