अब गांधी सागर डैम का 892 एमसीएम पानी पम्प स्टोरेज के लिए छोड़ा जाएगा। इसके बाद भी डैम में 3000 एमसीएम पानी मौजूद रहेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता उज्जैन को पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए आवश्यक जल गांधीसागर बांध में स्टोर करके रखने के निर्देश दिए गए हैं।
भोपाल। जी हां प्रदेश में गांधी सागर डैम के पानी से बिजली का उत्पादन होगा। इसके लिए राजस्थान सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है। दरअसल प्रदेश सरकार की पम्प स्टोरेज नीति के तहत गांधी सागर डैम के पानी से बिजली बनाने के मामले में अड़चन आ रही थी लेकिन अब ये अड़चन हट गई है और इसके बाद अब डैम के पानी से 1920 मेगावॉट बिजली बनेगी।
अब गांधी सागर डैम का 892 एमसीएम पानी पम्प स्टोरेज के लिए छोड़ा जाएगा। इसके बाद भी डैम में 3000 एमसीएम पानी मौजूद रहेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता उज्जैन को पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए आवश्यक जल गांधीसागर बांध में स्टोर करके रखने के निर्देश दिए गए हैं। इस परियोजना को प्रदेश सरकार पहले ही अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुकी थी, लेकिन राजस्थान सरकार का हिस्सा होने के चलते काम शुरू नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से प्रदेश सरकार ने इसकी जानकारी राजस्थान सरकार को देकर उससे स्वीकृति मांगी थी। प्रदेश सरकार के आग्रह पर राजस्थान सरकार की ओर से मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग जयपुर द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। अब ग्रीनको ग्रुप द्वारा 1920 मेगावाट पम्प स्टोरेज परियोजना के निर्माण के लिये गांधी सागर बांध से 891.944 एमसीएम पानी छोड़ने की अनुमति के लिए तय की गई शर्तों को भी जारी कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मोहन कैबिनेट ने पम्प स्टोरेज परियोजना के जरिए बिजली उत्पादन की नवीकरणीय विभाग की नीति को फरवरी 2025 में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी थी।