हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। साल 2024 का अंतिम प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाएगा।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के फल से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और जीवनसाथी के साथ संबंध प्रगाढ़ होते हैं।
पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर को रात 02 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगी। इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को रात 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। इस प्रकार, 28 दिसंबर को वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत आयोजित किया जाएगा।
मंत्रों का जाप
“ॐ श्री महादेवायै नमः”
“ॐ श्री पार्वती देवयै नमः”
पूजा के अंत में देवी पार्वती की आरती गाएं।
भगवान शिव की आराधना
इस दिन की पूजा से शनि के द्वारा उत्पन्न कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, भगवान शिव की आराधना से सभी प्रकार के संकटों का समाधान होता है।