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एमपी के पुलिस और वन विभाग में निचले कर्मचारियों का टोटा

इस मामले में अगर सरकारी आंकड़ों को देंखे तो प्रदेश सरकार के सभी सरकारी विभागों, जिनमें सार्वजनिक उपक्रम, नगरीय एवं स्थानीय निकाय, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग, विकास प्राधिकरण और विश्वविद्यालयों को मिलाकर 6 लाख 81 हजार 278 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं।

By Shital Kumar 
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भोपाल। प्रदेश के अन्य शासकीय विभागों में भले ही सरप्लस स्टॉफ होने के मामले सामने आते रहे हो लेकिन सूबे के दो ऐसे महत्वपूर्ण विभाग भी है जहां निचले कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है। जिन दो विभागों की जानकारी सामने आई है उनमें पुलिस और वन विभाग शामिल है। बताया गया है कि पुलिस विभाग में जहां सिपाहियों की कमी है तो वहीं वन विभाग में चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों का संकट है। हालांकि दोनों विभागों में नई भर्ती होने की भी संभावना जताई जा रही है लेकिन फिलहाल निचले कर्मचारियों का टोटा कार्य को प्रभावित कर रहा है।

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इस मामले में अगर सरकारी आंकड़ों को देंखे तो प्रदेश सरकार के सभी सरकारी विभागों, जिनमें सार्वजनिक उपक्रम, नगरीय एवं स्थानीय निकाय, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग, विकास प्राधिकरण और विश्वविद्यालयों को मिलाकर 6 लाख 81 हजार 278 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें सबसे अधिक तृतीय श्रेणी के 5 लाख 48, चतुर्थ श्रेणी के 58 हजार 522, द्वितीय श्रेणी के 40 हजार 20 और प्रथम श्रेणी के 8 हजार 286 अधिकारी और कर्मचारी हैं।

सरकारी डिपार्टमेंटों में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या 5 लाख से अधिक है, जबकि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी 58 हजार 522 हैं। पुलिस और फॉरेस्ट महकमा पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। पुलिस थाने से लेकर फॉरेस्ट के रेंज और एसडीओ कार्यालय संचालित होने पर पुलिस में चतुर्थ श्रेणी के 525 और फॉरेस्ट में 845 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। वैसे मप्र में नियमित कर्मचारियों की संख्या 6 लाख 6 हजार 876 है, जो कि तय पदों से कम है।

मप्र सरकार के सभी सरकारी विभागों, जिनमें सार्वजनिक उपक्रम, नगरीय एवं स्थानीय निकाय, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग, विकास प्राधिकरण और विश्वविद्यालयों को मिलाकर 6 लाख 81 हजार 278 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें सबसे अधिक तृतीय श्रेणी के 5 लाख 48, चतुर्थ श्रेणी के 58 हजार 522, द्वितीय श्रेणी के 40 हजार 20 और प्रथम श्रेणी के 8 हजार 286 अधिकारी और कर्मचारी हैं। यानि 7 लाख 72 हजार कर्मचारियों के बदले सरकार में 6 लाख 81 हजार कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। यानि करीब 90 हजार पद खाली पड़े हुए हैं। नियमित और निगम-मंडलों को छोडक़र आउट सोर्स तथा संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को नियमित नहीं माना जाता और इन्हें महंगाई भत्ता सहित एरियर्स भी नहीं दिया जाता है। कर्मचारियों के मामले में सबसे अधिक टीचर, प्राध्यापक आदि स्कूल शिक्षा विभाग में 2 लाख 25 हजार 608 कर्मचारी कार्यरत हैं।

आंकडे विधानसभा में प्रस्तुत किए

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सरकारी नियमित कर्मचारियों के मामले में राजधानी भोपाल में कर्मचारियों की संख्या 40 हजार 101 है, जबकि इंदौर दूसरे स्थान पर है, वहां करीब 30 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं और ग्वालियर में 21 हजार 750 तथा धार जिले में 20 हजार 429 कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह आंकडे विधानसभा में प्रस्तुत किए गए प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन को लेकर है।

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