भाजपा के इतिहास में ये संभवत सबसे लंबा इंतजार है कि जब मप्र में पूरी भाजपा बेसब्र होकर नए अध्यक्ष की बाट जोह रही है, लेकिन अब तक पार्टी में इस एक नाम पर बहुप्रतीक्षित मुहर नहीं लग पाई है। इससे पदाधिकारियों में सुस्ती छाने लगी है।
भोपाल। प्रदेश बीजेपी के मुख्यालय में बीते तीन माह से सन्नाटा है। इसके पीछे कारण यह है कि नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं होना। दरअसल बीजेपी के छोटे से लेकर बड़े कार्यकर्ता तक नये प्रदेश अध्यक्ष की बांट जोह रहे है और उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि जब कि नये अध्यक्ष की घोशणा नहीं होगा तब तक उनके कोई भी कार्य होना नहीं है लिहाजा पदाधिकारियों में सुस्ती दिखाई दे रही है।
भाजपा के इतिहास में ये संभवत सबसे लंबा इंतजार है कि जब मप्र में पूरी भाजपा बेसब्र होकर नए अध्यक्ष की बाट जोह रही है, लेकिन अब तक पार्टी में इस एक नाम पर बहुप्रतीक्षित मुहर नहीं लग पाई है। इससे पदाधिकारियों में सुस्ती छाने लगी है। ऐसे में कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और उनकी सक्रियता को बढ़ाने के लिए दिग्गज नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। इन नेताओं की कोशिश है कि जब तक नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो जाती तब तक कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाई जाए।
मप्र भाजपा मुख्यालय में बीते तीन महीने से सन्नाटा है. आवेदन लेकर और अपनी नई भूमिका की तलाश में पार्टी मुख्यालय पहुंचने वाले कार्यकर्ता भी हताश हैं। जानते हैं कि अभी सारे कागज और प्रक्रियाएं लंबित ही रह जाएंगी। अब जो भी होगा पार्टी संगठन में नए बदलाव के बाद ही होगा। मप्र में लगातार टलते जा रहे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव का इंतजार छोड़ संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने जिलों में कोर कमेटी सहित पदाधिकारियों की बैठकें और अन्य कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू कर दिया। अध्यक्ष का चुनाव अटकने से जिलों की कार्यकारिणी गठन आगे बढ़ गया। निगम-मंडलों में दर्जा मंत्रियों और सदस्यों की ताजपोशी भी टल गई। समितियों में होने वाली हजारों कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां भी नहीं हो पा रहीं।