निश्चित ही बेरोजगार युवाओं को भी नौकरी का मौका मिल सकेगा वहीं बिजली कटौती और बिजली बिलों में होने वाली गड़बड़ी जैसी समस्याओं का भी समाधान संभव हो जाएगा।
भोपाल। प्रदेश की बिजली कंपनियों में स्टॉफ की कमी है लेकिन अब इस कमी को जल्द ही दूर किया जाएगा क्योंकि नई भर्तियां करने का फैसला लिया गया है और इसके लिए ऊर्जा विभाग ने खाका भी खींच लिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में बिजली कंपनियों में स्टॉफ की कमी होने के कारण उपभोक्ताओं के काम अटकते है और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भोपाल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हालांकि अब बिजली वितरण कंपनियों में नये पदों के लिए प्रस्ताव तैयार हो गया है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो निश्चित ही बेरोजगार युवाओं को भी नौकरी का मौका मिल सकेगा वहीं बिजली कटौती और बिजली बिलों में होने वाली गड़बड़ी जैसी समस्याओं का भी समाधान संभव हो जाएगा।
20 हजार से अधिक नए पद मिलेंगे
भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने बिजली विभाग में नई भर्तियां करने का निर्णय लिया है। मप्र की मध्य, पूर्व व पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनियों को 20 हजार से अधिक नए पद मिलेंगे। ऊर्जा विभाग ने इसका खाका खींच लिया है। इंतजार है तो बस कैबिनेट से मंजूरी मिलने का। इसके बाद इन पदों पर भर्तियां शुरू होंगी। इसका सीधा फायदा 1.80 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को होगा। इन अधिकारी, कर्मचारी की भर्तियां होने के बाद बिजली कटौती व बिलों में गड़बड़ी जैसी शिकायतों की सुनवाई में तेजी आएगी।
ये पद करीब 40 साल बाद मिलने जा रहे हैं
गौरतलब है कि कंपनियों को ये पद करीब 40 साल बाद मिलने जा रहे हैं, जो युवाओं को रोजगार देने में भी मदद करेंगे। प्रदेश में अभी 100 यूनिट में से करीब 27 यूनिट बिजली चोरी हो जाती है। बिजली विभाग में अधिकारियों-कर्मचारियों की भर्ती के बाद सुविधाएं बढ़ेंगी और कामों में तेजी आएगी। केंद्र व राज्य की योजनाएं कम से कम समय में जमीन पर उतारी जा सकेंगी। मीटर व ट्रांसफार्मर के नए कनेक्शन लेने में लगने वाला समय और कम हो जाएगा। करोड़ों रुपए की वसूली संबंधी प्रकरणों के निपटारे में आसानी होगी। शहर की नई बसाहट, ग्रामीण क्षेत्रों के टोले-मजरे में बिजली पहुंचाने में कम समय लगेगा। वर्तमान में प्रदेश की बिजली व्यवस्था 3 कंपनियां संभाल रही हैं। इनमें करीब 1.80 करोड़ बिजली उपभोक्ता है, इनमें से 1.25 करोड़ घरेलू उपभोक्ता हैं। कंपनियों को हर महीने करीब 5 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है, जिसमें 3 हजार करोड़ आम उपभोक्ता देते हैं और 2 हजार करोड़ रुपए सरकार की सब्सिडी होती है।