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पूरा विपक्ष देशहित में डटा हुआ है, जबकि BJP की ओछी राजनीति में कोई कमी नहीं आई: पवन खेड़ा

पवन खेड़ा ने आगे कहा, जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष देशहित में डटा हुआ है, वहीं 22 अप्रैल की रात से आज तक BJP की ओछी राजनीति में कोई कमी नहीं आई है। एक तरफ पूरे देश में आवाज उठ रही थी कि पाकिस्तान को जवाब दिया जाए, आतंकियों के खिलाफ कदम उठाए जाएं। वहीं, BJP के लोग कश्मीर के छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे, देश के अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता पवनखेड़ा ने मंगलवार को प्रेस कॉफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, जब संकट का दौर आता है तो अपने-परायों की, निडर और कायरों की पहचान हो जाती है। जब 22 अप्रैल को देश पर संकट का समय आया तो कांग्रेस पार्टी के साथ सभी ने प्रधानमंत्री मोदी से यह मांग की, कि आप आतंकवाद का जवाब दीजिए, हम आपके साथ हैं। नेता विपक्ष राहुल गांधी अपना विदेशी दौरा छोड़कर देश वापस लौटे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तत्काल कार्यसमिति की बैठक बुलाई और बयान जारी कर कहा कि हम सरकार के हर कदम में साथ हैं। इसके बाद राहुल गांधी जी पहले पहलगाम में जाकर घायलों से मिले और स्थानीय लोगों से मिले। फिर पुंछ में पाकिस्तान की कायराना फायरिंग से प्रभावित लोगों से भी मिले।

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पवन खेड़ा ने आगे कहा, जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष देशहित में डटा हुआ है, वहीं 22 अप्रैल की रात से आज तक BJP की ओछी राजनीति में कोई कमी नहीं आई है। एक तरफ पूरे देश में आवाज उठ रही थी कि पाकिस्तान को जवाब दिया जाए, आतंकियों के खिलाफ कदम उठाए जाएं। वहीं, BJP के लोग कश्मीर के छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे, देश के अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे। इसके साथ ही BJP द्वारा अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही थी। ये एक सत्ताधारी दल का स्तर है। सच्चाई ये है कि BJP ने आपदा में अवसर ढूंढा है, जो बहुत ही पीड़ादायक बात है। इसलिए ये सवाल आने वाले कई दशकों तक पूछा जाएगा कि जब देश में आपदा आई थी तो कौन क्या कर रहा था?

उन्होंने आगे कहा, आजतक हमें जवाब नहीं मिला कि-पुंछ, गांदरबल, गुलमर्ग और पहलगाम के आतंकियों का क्या हुआ? सीजफायर किन शर्तों पर हुआ? हाफिज सईद, मसूद अजहर बचकर कैसे निकल गए? सीजफायर की शर्तों में इन आतंकियों को वापस लाना शामिल है या नहीं? मोदी सरकार से ये सवाल पूछ लिए जाएं तो इनके नेता फ़िल्मी डायलॉग मारते हैं। इस सरकार ने पूरी राजनीति, राजनीतिक विमर्श, विदेश नीति ट्रोल्स को आउटसोर्स कर दी है। मोदी सरकार की विदेश नीति का नतीजा ये है कि कुवैत ने पाकिस्तान पर से वीजा पाबंदियां हटा दी हैं। कुवैत-पाकिस्तान लेबर ट्रीटी साइन करने वाला है। उधर UAE ने पाकिस्तान को 5 साल की वीजा अनुमति दे दी है। हमारी विदेश नीति का नतीजा ही है कि नेपाल-भूटान भी हमारे साथ नहीं खड़ा हुआ।

साथ ही आगे कहा, इस पूरे संघर्ष में पता चल चुका है कि चीन और पाकिस्तान कैसे एक साथ सामने आए, लेकिन सरकार इसपर कुछ नहीं कर रही। आखिर यह सरकार Hyphenation होने क्यों दे रही है? इस सरकार के ट्रोल्स ने जिस ईरान के बारे में भद्दी टिप्पणियां कीं, उसने कल खुलकर कहा कि पाकिस्तान आतंक को शरण देता है। उन्होंने कहा, जब सरकार को समझ में आ गया कि एक विध्वंसकारी विदेशनीति के कारण हम अलग-थलग हो गए हैं, तो एक All-party delegation की बात हुई।

वहां कांग्रेस और विपक्ष के सांसद भारत का पक्ष रख रहे हैं, लेकिन BJP के एक सांसद हर दिन जहरीला ट्वीट करने से बाज नहीं आ रहे। जब प्रधानमंत्री खुद एक ट्रोलर की भाषा बोलने लगें, तो ये बेहद चिंता का विषय है। ऐसे में हमें जवाब चाहिए कि आज देश जैसी चुनौतियों से लड़ रहा है, उनका आने वाले समय में क्या होगा? इसका जवाब तभी मिल सकता है- जब प्रधानमंत्री ट्रोल से प्रेरित न हों, इन मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञों से बात करें…लेकिन मुझे नहीं लगता मोदी सरकार से हमें कोई जवाब मिल सकता है और वो इन चुनौतियों का सामना भी कर सकती हैं, क्योंकि जब संकट की घड़ी में परीक्षा हुई- तो सरकार बुरी तरह से फेल हो गई।

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