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हक की लड़ाई लड़ने वाले पेंशनरों की सरकार ने ली सुध….संशोधित नियमों से मिलेगा ऐसे फायदा

बता दें कि राज्य के पेंशनर कभी अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए तो कभी एरियर के लिए तो कभी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए सरकार से लड़ाई लड़ते रहे है। हालांकि अब सूबे की मोहन सरकार ने पेंशन नियम में संशोधन करने का फैसला लिया है और इसे वित्त विभाग अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है।

By Shital Kumar 
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भोपाल। अपने हक के लिए पेंशनर हमेशा से ही सरकार से लड़ाई लड़ते है लेकिन होता यह है कि सरकार या तो पेंशनरों को महज आश्वासन दे देती है या फिर ये आश्वासन पूरे ही नहीं होते है। परंतु अब ऐसा महसूस हो रहा है कि आखिरकार सूबे की मोहन सरकार ने अपने राज्य के पेंशनरों की सुध ली है। दरअसल पेंशन नियमों में संशोधन किया जा रहा है ताकि पेंशनरों के अलावा उनके परिजनों को भी आसानी से फायदा मिल सके।

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बता दें कि राज्य के पेंशनर कभी अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए तो कभी एरियर के लिए तो कभी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए सरकार से लड़ाई लड़ते रहे है। हालांकि अब सूबे की मोहन सरकार ने पेंशन नियम में संशोधन करने का फैसला लिया है और इसे वित्त विभाग अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसमें आश्रित अविवाहित पुत्री को 25 वर्ष से अधिक आयु होने पर भी परिवार पेंशन की पात्रता रहेगा।

 

जून-जुलाई में संशोधित नियम लागू किए जा सकते हैं

साथ ही विधवा   और परित्याक्ता को भी सम्मिलित किया जाएगा। भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यह प्रावधान कर दिया है, जिसे प्रदेश के कर्मचारियों के लिए लागू करने की मांग काफी समय से की जा रही थी। संभावना जताई जा रही है कि जून-जुलाई में संशोधित नियम लागू किए जा सकते हैं। जबकि, भारत सरकार ने 28 अप्रैल 2011 को अपने कर्मचारियों के मामले में पेंशन नियमों में संशोधन कर 25 वर्ष से अधिक की अविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन देने की पात्रता दी है। अविवाहित पुत्री की स्थिति में आयु 25 साल से अधिक होने के बाद भी जब तक उसका विवाह नहीं होता, तब तक उसे परिवार पेंशन मिलती रहेगी। विधवा बेटी और परित्यक्ता के मामलों में आजीवन पेंशन का प्रविधान है। अब यह व्यवस्था मध्य प्रदेश में लागू करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है।

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