चाय हर भारतीय की पहली जरुरत है। अधिकतर लोगो को जब तक चाय नहीं मिलती उनकी आंखो में नींद भरी रहती है। कई लोग तो बेड टी के शौकीन होते है तो कुछ लोग चाय के इस कदर आदि होते है कि जब तक दिन में चार छह चाय नहीं पी लेते दिन अधूरा लगता है। सर्दियों में तो चाय की तलब और बढ़ जाती है।
चाय हर भारतीय की पहली जरुरत है। अधिकतर लोगो को जब तक चाय नहीं मिलती उनकी आंखो में नींद भरी रहती है। कई लोग तो बेड टी के शौकीन होते है तो कुछ लोग चाय के इस कदर आदि होते है कि जब तक दिन में चार छह चाय नहीं पी लेते दिन अधूरा लगता है। सर्दियों में तो चाय की तलब और बढ़ जाती है।
अगर आप भी ऐसे लोगो में शामिल हैं तो इस आदत को अभी बदल डालें। चाय थोड़ी देर के लिए आलस को दूर कर देती है और शरीर में गर्मी ला देती है लेकिन सेहत पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। अधिक चाय पीना मेटाबॉलिक सिस्टम को बिगाड़ देता है जिससे कब्ज, पेट में ऐंठन की दिक्कत तो होती ही है साथ में थायरॉइड भी हो सकती है।अगर आपको पहले से ही थायरॉइड है तो यह आपकी दिक्कत को और बढ़ा सकता है।
दरअसल, ज्यादा चाय पीने से उसमें मौजूद कैफीन थायरॉइड ग्लैंड के काम को धीमा कर देता है जिससे मेटाबॉलिक प्रोसेस डिस्टर्ब होता है। अधिक मात्रा में लिया गया। कैफीन शरीर में थायरॉक्सिन हॉर्मोन के अब्जॉर्ब्शन में रुकावट पैदा करता है। जिससे लोग बीमार पड़ जाते हैं। ये तब ज्यादा खतरनाक हो जाता है, जब लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनके ऊपर थायरॉइड का हमला हो गया है क्योंकि इस मौसम में होने वाला कोल्ड-कफ भी थायरॉइड का लक्षण हो सकता है।
जिसे लोग आम सर्दी-ज़ुकाम समझकर दवा ले लेते हैं। लेकिन वक्त पर इलाज न मिलने से थायरॉइड और बिगड़ जाता है। अचानक बढ़ जाना या घटना, खांसी जुकाम, स्किन का ड्राई होना और बालों का झड़ना, सुस्ती व थकान, घबराहट, चिड़चिड़ापन, हाथों में कंपन, नींद की कमी, मसल्स पेन थायरॉइड के लक्षण में शामिल है।