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आज हमें यह पूछना है, OBC, दलित और आदिवासी समुदायों की देश के सत्ता-संरचनाओं में क्या है भागीदारी : खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर जातिगत जनगणना को लेकर एक पोस्ट शेयर किया है। इसमें उन्होंने लिखा कि, हम सभी जानते हैं कि जातिगत जनगणना का मुद्दा कोई नया नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार उठाया है, हमारे घोषणापत्रों में, संसद में, सड़कों पर, और हर उस मंच पर जहां सामाजिक न्याय की बात होनी चाहिए।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को एक बार फिर उठाया है। उन्होंने कहा कि, आज हमें यह पूछना है, OBC, दलित और आदिवासी समुदायों की देश के सत्ता-संरचनाओं में भागीदारी क्या है? क्या वे मीडिया में, नौकरशाही में, न्यायपालिका में, कॉर्पोरेट सेक्टर में, और उच्च शिक्षा संस्थानों में अपनी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व रखते हैं? अगर नहीं, तो इसका कारण क्या है? और समाधान क्या है?

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मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर जातिगत जनगणना को लेकर एक पोस्ट शेयर किया है। इसमें उन्होंने लिखा कि, हम सभी जानते हैं कि जातिगत जनगणना का मुद्दा कोई नया नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार उठाया है, हमारे घोषणापत्रों में, संसद में, सड़कों पर, और हर उस मंच पर जहां सामाजिक न्याय की बात होनी चाहिए। मैंने स्वयं अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग दोहराई थी कि जाति जनगणना को तत्काल शुरू किया जाए। उस पत्र में मैंने साफ कहा था, जब तक हमारे पास सही आंकड़े नहीं होंगे, तब तक कोई भी सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि वह सबको न्याय दिला रही है।

उन्होंने आगे लिखा, आज हमें यह पूछना है, OBC, दलित और आदिवासी समुदायों की देश के सत्ता-संरचनाओं में भागीदारी क्या है? क्या वे मीडिया में, नौकरशाही में, न्यायपालिका में, कॉर्पोरेट सेक्टर में, और उच्च शिक्षा संस्थानों में अपनी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व रखते हैं? अगर नहीं, तो इसका कारण क्या है? और समाधान क्या है? इसका समाधान है सच्चाई को सामने लाना, आंकड़ों को सार्वजनिक करना, और फिर नीतियों का पुनर्निर्माण करना। यही कारण है कि जाति जनगणना को हम केवल एक आंकड़ों की कवायद नहीं मानते, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र का नैतिक दायित्व है।

साथियों, हमें यह भी स्पष्ट रूप से मांग करनी है कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तुरंत लागू किया जाए, जिससे OBC, दलित और आदिवासी छात्रों को निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिले। आज जब शिक्षा का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र में केंद्रित हो गया है, तब इन समुदायों को उस पहुंच से वंचित रखना एक प्रकार का शोषण है। कांग्रेस का मानना है कि शिक्षा में समान अवसर के बिना कोई भी समाज बराबरी का नहीं हो सकता। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि 50% आरक्षण की सीमा पर अब नए आंकड़ों के आलोक में पुनर्विचार हो। जब सामाजिक वास्तविकताएं बदल चुकी हैं और आंकड़े नई तस्वीर पेश कर रहे हैं, तो हमारी नीतियों में भी उसी अनुरूप परिवर्तन होना चाहिए। आरक्षण की वर्तमान सीमा को आंकड़ों और न्याय दोनों के संतुलन से देखा जाना चाहिए, ताकि OBC, दलित और आदिवासी समुदायों को उनका वास्तविक हक मिल सके।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा, तेलंगाना में जो जाति सर्वेक्षण हुआ, उसने एक मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें समाज, विशेषज्ञ और सरकार सभी की भागीदारी रही। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी ऐसा ही जन-संवादी और पारदर्शी मॉडल अपनाए। हम इस प्रक्रिया में सहयोग करने को तैयार हैं। साथियों, आप सभी हमारे पार्टी के प्रवक्ता हैं, हमारे विचारों की आवाज़ हैं। आज जब देश जाति जनगणना को लेकर जागरूक हो रहा है, तब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तथ्यों के साथ, संवेदनशीलता के साथ, और निडर होकर इस विषय को जनता के बीच ले जाएं।

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यह न केवल सामाजिक न्याय की लड़ाई है, बल्कि संविधान की आत्मा की रक्षा की लड़ाई है। मैं आपसे अपील करता हूं कि इस अभियान को केवल चुनावी मुद्दा न समझें, यह हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है। आज का यह संवाद, इस दिशा में हमारी एकजुटता का प्रमाण है। आप सभी को इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं। आइए, हम मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं जहाँ हर नागरिक की पहचान, गरिमा और अधिकार को समान रूप से सम्मान मिले। जय हिन्द , जय कांग्रेस, जय संविधान!

 

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