हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Lord Jagannath Rath Yatra) निकाली जाती है। ये काफी दूर दूर तक मशहूर है। इस यात्रा में हर साल न जाने कितने श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर की परंपरा है कि हर साल भक्तों जगन्नाथ भगवान, शुभद्रा और बलभद्र को खींचने के लिए आते हैं।
पुरी। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Lord Jagannath Rath Yatra) निकाली जाती है। ये काफी दूर दूर तक मशहूर है। इस यात्रा में हर साल न जाने कितने श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर की परंपरा है कि हर साल भक्तों जगन्नाथ भगवान, शुभद्रा और बलभद्र को खींचने के लिए आते हैं। मान्तया के अनुसार भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के इस रथ यात्रा (Rath Yatra) में शामिल होने से मनुष्य को मरने के बाद दोबारा मानव का जीवन नहीं मिलता है सीधा उसे भगवान विष्णु के लोक में स्थान मिलता है। इसेक साथ ही उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं इस मंदिर के में ‘ यम शिला’ (Yam Shila) है। जो कि काफी फेमस है आज हम जाएंगे की यम शिला क्या है और इसका रहस्य क्या है?
जानिये क्या है मंदिर में यम शिला?
जगन्नाथ जी के मंदिर (Jagannath Puri) में टोटल 22 सीढ़ी है। जिसमें तीसरी सीढ़ी को ‘ यम शिला’ (Yam Shila) कहा जाता है। ये सीढ़ी काफी रहस्मयी है।
क्या है तीसरी सीढ़ी का रहस्य?
मंदिर के तीसरी सीढ़ी का रहस्य काफी गहरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी सीढ़ी पर मृत्यु के देवता का वास है। कथाओं के अनुसार एक बार यमराज ने देखा की भगवान जगन्नाथ के मात्र दर्शन से ही मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद वो भगवान से मिलने पुरी आये। यमराज जी भगवान से बोले की लोग आपके दर्शन से मोक्ष पा जाते हैं और कोई मेरे यमलोक में नहीं आता है।
इसके बाद भगवान श्री जगन्नाथ (Lord Shri Jagannath) ने कहा कि तुम मेरे मंदिर के तीसरी द्वार पर विराजमान हो जाओ। अब जो भक्त दर्शन के लिए तीसर सीढ़ी पर पग रखेगा वो पाप से तो मुक्त जाएगा लेकिन वो यमलोक भी जाएगा। तुम्हारे विराजमान होने के बाद ये सीढ़ी ‘यम शिला’ नाम से जानी जायेगी। जहाँ हर सीढ़ी एक कलर में है वहीं तीसरी सीधी काले कलर की हैं ताकि भक्त अच्छी तरह पहचान जाए। इसी रहस्य के लिए ही कोई भगवान के दर्शन करने के बाद तीसरी सीढ़ी पर कदम नहीं रखता है।
रिपोर्ट: आकांक्षा उपाध्याय