जावेद अख्तर (Javed Akhtar) और उनकी फिल्म निर्माता बेटी ज़ोया अख्तर 29 अगस्त को मुंबई में हुए इंडियन एक्सप्रेस के खास शो ‘एक्सप्रेसो’ के नए सेशन में शामिल हुए। जहां पिता-बेटी की इस जोड़ी ने साहित्य, सिनेमा समेत कई चीजों पर तमाम बातें की।
मुंबई: जावेद अख्तर (Javed Akhtar) और उनकी फिल्म निर्माता बेटी ज़ोया अख्तर 29 अगस्त को मुंबई में हुए इंडियन एक्सप्रेस के खास शो ‘एक्सप्रेसो’ के नए सेशन में शामिल हुए। जहां पिता-बेटी की इस जोड़ी ने साहित्य, सिनेमा समेत कई चीजों पर तमाम बातें की।
इस दौरान जोया ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप को लेकर बात की और लोगों से सवाल किया कि जब वो महिला का शोषण होते देख सकते हैं तो स्क्रीन पर किस क्यों नहीं बर्दाश्त कर पाते? ज़ोया ने ओटीटी पर सेंसरशिप की कमी के बारे में खुलकर बात की और बताया कि बतौर फिल्म निर्माता इससे उन्हें किस तरह छूट मिल रही है। जोया ने कहा कि फिजिकल इंटिमेसी दिखाने में कोई सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए।
View this post on Instagram
पढ़ें :- Jigra Teaser Release: अपने भाई के लिए आलिया ने उठा लिया हथियार, रिलीज हुआ 'जिगरा' का टीजर
स्क्रीन पर आपसी सहमति से इंटिमेसी दिखाना बहुत जरूरी है। “मैं ऐसे समय में बड़ी हुई हूं जहां महिलाओं को स्क्रीन पर धमकाया जाता था, पीटा जाता था, परेशान किया जाता था और यौन उत्पीड़न किया जाता था। इन सभी की इजाजत थी, लेकिन आप किस नहीं देख सकते थे। लोगों को दो एडल्ट्स के बीच प्यार, इंटिमेट देखने की इजाजत दी जानी चाहिए।”
ज़ोयाा ने कहा कि ये दिखाना या न दिखाना फिल्ममेकर की मर्जी होती है। “हर फिल्म का अपना टोन होता है, हर फिल्ममेकर अपने तरीके से कहानी को बताता है। रमेश सिप्पी की ‘शोले’ की बात करें तो उसमें अलग तरीके की हिंसा दिखाई गई थी, वहीं बात अगर ‘टारनटिनो’ की करें तो इसमें हिंसा अलग थी। आप दर्शक को क्या दिखाना चाहते हैं, बात सारी ये है।”