महाकुंभ (Maha Kumbh) में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन हुए हादसे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में बुधवार को सुनवाई हुई। इस मामले में याचिका दायर की गई है। याची अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने मीडिया रिपोर्ट्स पेश की। कहा कि 'खोया-पाया केंद्र पर बिना आधार कार्ड (Aadhar card) के लापता लोगों के नाम एनाउंस नहीं किए गए।
प्रयागराज। महाकुंभ (Maha Kumbh) में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन हुए हादसे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में बुधवार को सुनवाई हुई। इस मामले में याचिका दायर की गई है। याची अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने मीडिया रिपोर्ट्स पेश की। कहा कि ‘खोया-पाया केंद्र पर बिना आधार कार्ड (Aadhar card) के लापता लोगों के नाम एनाउंस नहीं किए गए। लापता लोगों का आधार कार्ड पेश करना परिजनों के लिए संभव नहीं था। मौके पर त्राहि-त्राहि मची थी। एक नहीं तीन जगह भगदड़ हुई। सरकार ने झूठे आंकड़े पेश किए। अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने यह भी कहा कि एंबुलेंस ड्राइवर ने मीडिया को दिए बयान में बताया कि 100 से ज्यादा लाशें ढोई गईं।’
इसके विपरीत प्रदेश सरकार के वकील ने बचाव किया। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग (Judicial Commission) का गठन किया गया है। आयोग घटना के कारणों और भविष्य में घटना से बचने के उपाय बताएगी। कोर्ट ने पूछा कि ‘आयोग का काम गोल-मोल क्यों है। घटना के दिन कितनी मौतें हुईं और इसकी जांच कैसे और कौन करेगा?’ सरकारी वकील ने बताया कि आयोग घटना के कारणों को जानने और बचाव के सुझाव देने के लिए है न कि मौतों की जानकारी देने के लिए है।
हाईकोर्ट ने आयोग के कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए और यूपी सरकार से जानकारी तलब की। मामले की अगली सुनवाई सोमवार 24 फरवरी को होगी। कोर्ट ने याची अधिवक्ता की ओर से पेश किए गए वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का आदेश दिया।