बिहार की राजधानी पटना से हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। जहां इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS ) के प्राचार्य रंजीत गुहा (Principal Ranjit Guha) ने आत्महत्या कर लेने की चेतावनी दी है। उन्होंने इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) को पत्र लिखते हुए खुद को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
पटना। बिहार की राजधानी पटना से हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। जहां इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS ) के प्राचार्य रंजीत गुहा (Principal Ranjit Guha) ने आत्महत्या कर लेने की चेतावनी दी है। उन्होंने इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) को पत्र लिखते हुए खुद को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसके लिए एनाटॉमी विभाग (Department of Anatomy) के एचओडी पर आरोप लगाते हुए और अभद्र व्यवहार करने की बात का जिक्र किया है। प्राचार्य ने आईजीआईएमएस के निदेशक बिंदे कुमार (IGIMS director Binde Kumar) पर भी बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि निदेशक ने नियम तोड़ते हुए संकाय प्रभारी की नियुक्ति की है, जबकि नियम के मुताबिक प्राचार्य ही संकाय का प्रभारी होता है।
आईजीआईएमएस (IGIMS ) के प्राचार्य ने अपने पत्र में लिखा है कि अब वह पूरी तरह निराश और तबाह हो चुके हैं।उन्होंने कहा कि मेरे प्राचार्य कार्यालय में कमरा खाली कर दिया गया है और संकाय प्रभारी बनते ही मेरे ऊपर जुल्म ढाया जा रहा है। मेरे सभी कर्मी संकाय प्रभारी से भयभीत हैं और मैं अत्यंत ही खतरनाक स्थिति से गुजर रहा हूं। प्राचार्य ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि निदेशक से शिकायत के बाद भी उन्होंने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया और अब मेरे पास आत्महत्या के सिवा कोई भी उपाय नहीं बचता है।
बता दें कि आईजीआईएमएस (IGIMS ) में प्राचार्य और फैकल्टी इंचार्ज के पद को लेकर विवाद बना हुआ है। निदेशक के आदेश पर एक नया पद फैकल्टी इंचार्ज का सृजित किया गया है। फैकल्टी इंचार्ज द्वारा प्राचार्य कक्ष से उनका नाम प्लेट हटाकर अपना चिपकाने और कक्ष में जबरन बैठने का आरोप लगाया जा रहा है। आईजीआईएमएस मेडिकल कॉलेज (IGIMS Medical College) के प्रिंसिपल डॉ रंजीत गुहा ने बताया कि हाल ही में निदेशक डॉ बिंदे कुमार द्वारा डॉ अवनीश कुमार को फैकल्टी इंचार्ज बनाया गया है। यह एक प्रकार से प्रिंसिपल के समानांतर पद का सृजन है। यह प्रिंसिपल के पद, कार्य क्षेत्र और गरिमा को कम करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में निदेशक से बात की थी। वहां से समाधान नहीं होने पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से भी मुलाकात कर मामले की जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री ने एक अप्रैल को बोर्ड ऑफ गवर्नर की बैठक बुलाई है। उसमें कुछ निर्णय करने की बात उन्होंने कही है। दूसरी ओर फैकल्टी इंचार्ज डॉ अवनीश कुमार ने कहा कि उन्होंने प्राचार्य के कक्ष में जबरन प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है। प्रिंसिपल के लिए दो कक्ष थे, दोनों में उनका बोर्ड लगा था। मुझे भी इसी एरिया में बैठना था, इसलिए उनके दूसरे कक्ष से उनका नाम प्लेट हटाकर अपना लगाया है। यह सब प्रिंसिपल की सहमति से ही हुआ है। उन्हें आपत्ति थी तो वह वरीय अधिकारी के रूप में आदेश देते तो मैं ऐसा नहीं करता. बहरहाल, इस मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है।