शिक्षा से ही उनमें चेतना आती है और वो उत्पीड़न व शोषण के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाते हैं। शिक्षा से जो आत्मविश्वास आता है वह भाजपा जैसे वर्चस्ववादी दल के विरोध का कारण बनता है, इसीलिए न होंगे स्कूल, न होगा भाजपा का विरोध। आज गांवों में स्कूल बंद होंगे कल को भाजपा के संगी-साथी सेवा के नाम पर अपने स्कूल वहां खोलने के लिए पहुंच जाएंगे। जिससे वो अपनी दरारवादी सोच के बीज बो सकें।
लखनऊ। यूपी में प्राइमरी के उन स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है जहां पर 50 से कम बच्चे हैं। बंद होने वाले स्कूलों के बच्चों के पास के स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी है। हालांकि, सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल के नेता विरोध कर रहे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि, भाजपा अपनी प्रभुत्ववादी सोच को बनाए रखने के लिए अशिक्षित व अवैज्ञानिक लोगों की ताली बजाती, थाली पीटती अनपढ़ों की भीड़ चाहती है।
अखिलेश यादव ने एक्स पर कन्नौज की एक खबर को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इसमें उन्होंने कहा कि, शिक्षा ही विकास की सबसे बड़ी कसौटी होती है। भाजपा सरकार में शिक्षा और शिक्षकों की जो उपेक्षा हो रही है उसके पीछे एक गहरी साज़िश की ये आशंका बलवती हो रही है कि-भाजपा आनेवाली पीढ़ी से ‘शिक्षा का अधिकार’ छीनना चाहती है। जो शिक्षित होता है वह सकारात्मक भी होता है और सहनशील भी, ऐसे लोग भाजपा की नकारात्मक राजनीति को कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं।
उन्होंने आगे लिखा, शिक्षा से ही उनमें चेतना आती है और वो उत्पीड़न व शोषण के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाते हैं। शिक्षा से जो आत्मविश्वास आता है वह भाजपा जैसे वर्चस्ववादी दल के विरोध का कारण बनता है, इसीलिए न होंगे स्कूल, न होगा भाजपा का विरोध। आज गांवों में स्कूल बंद होंगे कल को भाजपा के संगी-साथी सेवा के नाम पर अपने स्कूल वहां खोलने के लिए पहुंच जाएंगे। जिससे वो अपनी दरारवादी सोच के बीज बो सकें।
भाजपा अपनी प्रभुत्ववादी सोच को बनाए रखने के लिए अशिक्षित व अवैज्ञानिक लोगों की ताली बजाती, थाली पीटती अनपढ़ों की भीड़ चाहती है। नकारात्मक सोच के लिए प्रभुत्ववादी, घोर स्वार्थी व अनपढ़ों का समर्थन चाहिए होता है। सच में शिक्षित व परमार्थ से प्रेरित एक चैतन्य व जागरूक व्यक्ति कभी भी भाजपा जैसी सोच का समर्थक नहीं हो सकता है। जितनी शिक्षा प्रसारित होगी उतनी ही भाजपाई राजनीति की जड़ कमज़ोर होगी।
सपा अध्यक्ष ने आगे लिखा, सब जानते हैं कि जो चीज निगाह से दूर हो जाती है, वो दिमाग़ से भी दूर हो जाती है। जब आसपास स्कूल ही नहीं दिखेंगे तो शिक्षा की साक्षात प्रेरणा ही समाप्त हो जाएगी। हमारा तर्क ये है कि जब 1 मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है तो 30 बच्चों के लिए स्कूल चलाया क्यों नहीं जा सकता है। ये पीडीए के वंचित समाज को और भी वंचित करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।